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मन की बात : पीएम मोदी ने किया दो मोहन का जिक्र

पीएम नरेन्द्र मोदी रेडियो पर मन की बात के माध्यम से देशवासियों को संबोधित किया । दूसरे कार्यकाल में वह तीसरी बार रेडियो के जरिए लोगों से मुखातिब हुए तो दो मोहन की बात की, एक चक्रधारी और दूसरे चरखाधारी यानी भगवान श्रीकृष्ण और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी । पीएम ने कहा कि इस बार ११ सितंबर से स्वच्छता ही सेवा अभियान की शुरुआत होगी । इसके साथ ही पीएम ने २९ अगस्त को राष्ट्र खेल दिवस पर फिट इंडिया मूवमेंट लॉन्च करने की घोषणा की । पीएम मोदी ने कहा, हमारा देश इन दिनों एक तरफ वर्षा का आनंद ले रहा है तो दूसरी तरफ उत्सव और मेले चल रहे हैं, हमारे पूर्वजों ने ऋतुचक्र, फसलचक्र और अर्थचक्र और समाजव्यस्था को इस तरह ढाला है कि समाज में कभी ललनेस ना आए । कल हिंदुस्तानभर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया । कोई कल्पना कर सकता है कि कैसा व्यक्तित्व होगा कि आज हजारों साल बाद भी हर उत्सव नयापन लेकर आता है, नई प्रेरणा और उर्जा लेकर आता है । हजारों साल पुराना जीवन ऐसा जो आज भी समस्याओं को दूर करने की प्रेरणा उदाहरण दे सकता है । मोदी ने कहा, हर कोई श्रीकृष्ण के जीवन में से समस्याओं का समाधान ढूंढ सकता है । वह कभी रास में रम जाते थे तो कभी गायों के बीच तो कभी ग्वालों के बीच, कभी खेलकूद करना तो कभी बांसुरी बजाना, विविधितताओं से भरा यह व्यक्तित्व समाजशक्ति को समर्पित, लोकशक्ति को समर्पित, मित्रता कैसी हो तो सुदामा वाली घटना कौन भूल सकता है । युद्धभूमि में सारथी का काम स्वीकार कर लेना, कभी चट्टान तो कभी पत्तल उठाना का काम यानी हर चीज में नयापन महसूस होता है । आज जब मैं आपसे बात करता हूं तो मेरा दो मोहन की ओर ध्यान जाता है एक सुदर्शनचक्रधारी मोहन और दूसरे चरखाधारी मोहन । पीएम ने कहा, सुदर्शनचक्रधारी मोहन यमुना तट छोड़कर गुजरात में समुद्र तट पर स्थिर हुए और समुद्रतट पर पैदा हुए मोहन दिल्ली में यमुना किनारे आखिरी सांस लेते हैं । सुदर्शन चक्र धारी मोहन ने उस समय की स्थितियों में हजारों साल पहले युद्ध को टालने के लिए अपनी बुद्धि का अपने अपने सामर्थ्य का उपयोग किया था और चरखाधारी मोहन ने स्वतंत्रता के लिए, मानवीय मूल्यों के जतन के लिए, व्यक्तित्व के मूल तत्व को सामर्थ्य दे इसके लिए आजादी के जंग को ऐसा रूप दिया ऐसा मोड़ दिया जो पूरे विश्व के लिए अजूबा है । निस्वार्थ सेवा का महत्व हो, ज्ञान का महत्व हो या फिर जीवन में तमाम उतार चढ़ाव के बीच मुस्कुराते हुए आगे बढ़ने का महत्व हो यह हम श्रीकृष्ण के संदेश से सीख सकते हैं । इसलिए तो श्रकृष्ण जगतगुरु कहे जाते हैं । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गांधी के सोवा भाव को लेकर कहा, आज भारत एक और उत्सव की तैयारी में जुटा है, पूरी दुनिया में इसकी चर्चा है । मैं बात कर रहा हूं महात्मा गांधी की १५० जयंती । २ अक्टूबर १८६९, पोरबंदर में एक व्यक्ति नहीं एक युग का जन्म हुआ था जिसने मानव इतिहास को नया मोड़ दिया । महात्मा गांधी के जीवन से एक बात हमेशा जुड़ी रही वह है, सेवा, सेवा भाव । उनका पूरा जीवन देखें, साउथ अफ्रीका में उन लोगों की सेवा की जो नस्लीय हिंसा का शिकार थे । उस समय यह छोटी बात नहीं थी । उन्होंने उन किसानों की सेवा कि जिनके साथ जंपारण में भेदभाव किया जा रहा था । उन्होंने उन मिलजदूरों की सेवा कि जिन्हें उचित मजदूरी नहीं दी जा रही थी । उन्होंने गरीब, बेसहारा, कमजोर और भूखे लोगों की सेवा को अपने जीवन का परम कर्तव्य माना । सत्य के साथ गांधी का जितना अटूट नाता रहा है, सेवा के साथ भी उनका उतना ही अनन्य, अटूट नाता रहा । जिस किसी को जब भी जहां जरूरत पड़ी, महात्मा गांधी सेवा के लिए मौजूद रहे । उन्होंने ना केवल सेवा पर बल दिया, बल्कि उसके साथ जुड़े आत्मसुख पर भी जोर दिया । सेवा शब्द की सार्थकता इसी अर्थ में है कि उसे आनंद के साथ किया जाए ।
पीएम ने कहा, मैं कह सकता हूं कि गांधी सेवा भाव से संगठन भाव को भी बल देते थे । समाज सेवा और समाज संगठन को हमें अपने व्यवहार में लाना है । यह उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है । क्या गांधी १५० ऐसे ही आकर चला जाए, हमें मंजूर है क्या? जी नहीं, हम सब अपने आप से पूछें, चिंतन-मंथन करें, समाज में सभी लोगों के साथ मिलकर समाज के लिए क्या करें । एक व्यक्ति के नाते मैं उस प्रयासों में क्या जोड़ूं । सामूहिकता की एक ताकत होती है । इस गांधी १५० के कार्यक्रमों में सामूहिकता भी हो और सेवा भी हो । क्यों ना पूरा मोहल्ला निकल पड़े । यदि हमारे फुटबॉल टीम है तो खेलने के साथ, लेकिन एकाध सेवा का काम भी करेंगे । लेडीज क्लब है, आधुनिक युग के लेडीज क्लब के जो काम है वो करेंगे लेकिन साथ में सभी सखियां एक सेवा कार्य करेंगी । बहुत कुछ कर सकते हैं । किताबें इकट्ठी करें पुरानी और गरीबों को बांटे । १३० करोड़ देशवासी हैं १३० करोड़ उपक्रम हो सकते हैं । कोई सीमा नहीं है । बस सदइच्छा हो, सदभाव और पूर्ण समपर्ण भाव की सेवा हो । प्रधानमंत्री ने कहा, कुछ महीने पहले मैं गुजरात में दांड़ी गया था । आजादी के आंदोलन में नमक सत्याग्रह, दांड़ी एक टर्निंग पॉइंट है । वहां मैंने महात्मा गांधी को समर्पित अति आधुनिक एक म्यूजियम का उद्‌घाटन किया था । मेरा आपसे आग्रह है कि आप भी महात्मा गांधी से जुड़ी किसी स्थान की यात्रा जरूर करें । पोरबंदर हो, साबरमती आश्रम हो, वर्धा आश्रम हो या दिल्ली में महात्मा गांधी से जुड़े स्थान हो और जब भी आप वहां जाएं तो वहां की तस्वीर सोशल मीडिया पर भी डालें ।

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