जूनागढ़ के सताधार के महंत जीवराजबापू ९३ वर्ष की उम्र में गत दिन सोमवार रात को १० बजे देहविलय होने पर उनके अनुयायी और भक्तजनों में शोक की लहर फैल गई । जीवराजबापू सताधार के ७वें महंत थे । मंगलवार को जीवराजबापू के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए खुला रखा गया इसके बाद जीवराजबापू की पालखी यात्रा निकाली गई । जिसमें कई साधु-संत सहित हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुए । सताधार की जगह में बापू के अंतिम दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त सुबह से ही पहुंच गये और मोरारी बापू से लेकर मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने जीवराजबापू को श्रद्धांजलि दी । पिछले कुछ दिनों से जीवराजबापू को सांस लेने में परेशानी हो रही थी । मंगलवार को दोपहर में तीन बजे के करीब जीवराजबापू को सताधार की जगह में समाधी दी जाएगी । गत रविवार को मुख्यमंत्री रुपाणी ने जीवराजबापू की तबियत पूछी थी । यहां उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पहले जीवराजबापू को न्युमोनिया होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था । महंत जीवराजबापू के निधन के समाचार मिलने पर उनके सेवक बड़ी संख्या में रात से ही सताधार आ गये । उनको बुधवार को दोपहर के बाद आपागीगा की जगह में ही समाधी दी जाए ऐसी संभावना है यह जूनागढ़ के मेयर धीरूभाई गोहल ने बताया कि, जीवराजबापू का जन्म माधवपुर के सरमा गांव में हुआ था । वह बचपन में छोटी उम्र से ही सत्ताधार की जगह में आ गया था और वर्ष १९८२ में महंत बन गये थे । जीवराजबापू गायों की सेवा करके गौशाला में ही रहते थे । उन्होंने १९८२ में महंत की गादी संभाली । श्यामजीबापू ने उनको महंत बनाया था । छोटी उम्र से ही वह सताधार में सेवा करते थे । उल्लेखनीय है कि, आपागीगा द्वारा सताधार की स्थापना की गई थी । इसके बाद सताधार में उनके शिष्य करमण बापू, इसके बाद रामबापू और इसी तरीके से हरीबापू और इसके बाद लक्ष्मणबापू के बाद श्यामजीबापू और इसके बाद जीवराजबापू ने सताधार की जिम्मेदारी संभाली थी ।