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सुरत में जैन समाज के दो किशोर लेंगे सन्यास

गुजरात के सूरत शहेर से सन्यासी जीवन त्यागने का एक मामला सामने आया है। जहां पर 12 और 16 साल के दो बच्चों ने सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास धारण करने का बड़ा फैसला ले लिया । जीवन से लेकर मृत्यु तक अपनी चाहतों को पुरा करने में लगे रहते है । लेकिन गुजरात से पहले भी सन्यासी जीवन धारण करने वाले कई किस्से सामने आये है, लेकिन फिस से लोगो को अंचबें में दाल देने वाला मामला आज फिर सुरत से 12 वर्षीय जिनेश परिख और 16 वर्षीय कामेश कुमार जैन ने इस संसारीक मोह से अपना मन हटा सन्यासी बनने का फसला कर लिया। 
वैसे तो बचपन खेलने और कूदने के लिए होता है. लेकिन इस नाजुक उम्र में कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जिनको इस जीवन से नफरत सी हो जाती है, और वो सन्यासी जीवन का एक बड़ा फैसला कर बेठते है । इस उम्र में लोग खेलना कुदना पसंद करते है, उन्है संसारी जीवन के बारे में कुछ भी पता नही होता लेकिन आज सुरत के जिनेश परिख और कामेश कुमार जैन सन्यासी जीवन गुजारने का विजार ले लेते है ।
जिनेश परिख और कामेश कुमार जैन अपने गुरु भगवंतो से दीक्षा ग्रहण करने जा रहे हैं। आपको बता दे कि दीक्षा लेने से पहले अपने गुरु भगवंतो से समय लेना होता है। जिसके बाद दीक्षा लेना कहलाया जाता है । यहां धार्मिक विधि-विधान पूरा करने के बाद इनको संन्यासी जीवन धारण करने के लिए 12 फरवरी 2020 का समय दिया गया है। इससे पहले सूरत की ही रहने वाली 18 वर्षीय स्तुति शाह भी सांसारिक मोह माया का त्यागकर संन्यासी जीवन जीने का ऐलान कर चुकी हैं। 
दीक्षा लेने वाले इन बच्चों का कहना है कि जिंदगी की यही सच्चाई है और यहीं से जिंदगी की वास्तविकता का पता चलता है. इसलिए हमने दीक्षा लेने और संन्यास धारण करने का फैसला लिया है। जैन धर्म में एकस रिती रिवाज वर्षों स चला आ रहा है, इस समाज के अधिकतर बड़े-छोटे लोग गुरु दिक्षा लेकर जीवन से तरने के फैसला ले लेते है।

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