निराश्रित गोवंश का पालन सीधे किसानों से कराने की योजना तैयार कर ली गई है। इच्छुक किसानों को प्रति गोवंश 900 रुपये प्रतिमाह देने के अलावा गोवंश से अतिरिक्त आय प्राप्त करने के लिए जागरूक किया जाएगा। प्रदेश में छुट्टा गोवंश किसानों के लिए चुनौती का सबब बने हुए हैं। सरकार को जगह-जगह ऐसे गोवंश को पकड़कर रखने और भरण-पोषण के लिए गोशाला व गो-आश्रय स्थल की स्थापना करवानी पड़ रही है। इसके बावजूद ठीक से देखभाल न होने की वजह से समय-समय पर तमाम गोवंश की मृत्यु की खबरें आती रहती हैं।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों ऐसी ही स्थितियां सामने आने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई की थी। उन्होंने इस समस्या के समाधान में सीधे किसानों को शामिल करते हुए योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।
अब तय किया गया है कि जो किसान गोशाला या गो-आश्रय स्थलों से निराश्रित गोवंश ले जाकर पालना चाहते हैं, उन्हें प्रति गोवंश 900 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। एक किसान यदि 10 गोवंश पालता है तो उसे 9000 रुपये प्रतिमाह मिल सकेंगे।सरकार को उम्मीद है कि निराश्रित गोवंश का पालन करने वाले किसान गाय के गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाकर व गो उत्पादों का अन्य प्रकार से उपयोग कर अतिरिक्त आय कर सकेंगे। मसलन, गो आश्रय स्थलों में ऐसे भी गोवंश हैं जो दूध देते हैं। उनसे दूध-दही, घी प्राप्त किया जा सकता है। गोमूत्र से गोनायल बनाया जा सकता है।इसके लिए किसानों को जागरूक कर प्रोत्साहित किए जाने की योजना है। इस योजना के लिए बजट की व्यवस्था के बाद विस्तृत दिशा-निर्देश जारी होने की संभावना है। इस योजना के लिए केंद्र सरकार से भी मदद प्राप्त करने पर विचार हो रहा है। योजना से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं कि इस पहल के बारे में किसानों से चर्चा की गई तो उन्होंने इसे अच्छा विचार बताया है लेकिन आकर्षक नहीं। किसानों का कहना है कि प्रति गोवंश 30 रुपये प्रतिदिन की व्यवस्था बहुत कम है। प्रति स्वस्थ गोवंश चारे पर कम से कम 1800-2000 रुपये महीने का खर्च आता है। इस योजना को यदि केंद्र सरकार की ‘गोवर्धन योजना’ व मनरेगा से जोड़ दिया जाए तो इसका आकर्षण बढ़ सकता है।मसलन, गोवंश संरक्षण वाले व्यक्ति को मनरेगा से प्रतिदिन के हिसाब से दो मजदूरी की व्यवस्था कर दी जाए। एक तो स्वयं पशुपालक को मिले व दूसरा उसके साथ काम करने वाले व्यक्ति के लिए। तब ये स्थायी रूप से इस काम के लिए आगे आ सकेंगे। इसके अलावा इसे गोवर्धन योजना से जोड़ दिया जाए तो वह स्वरोजगारी भी बन सकेगा।