अपना दल ने केन्द्र और प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि किसान फसल उगाते हैं लेकिन उन्हें उसका वाजिब दाम नहीं मिलता। सूखा और अकाल पड़ने पर मुआवजा भी नहीं मिलता न ही समय पर बीमा धनराशि मिलती है। बुंदेलखंड में कर से लदे किसान पांच दिन में पांच किसानों ने आत्महत्या की। बुंदेलखंड महाराष्ट्र का विदर्भ बनने की ओर अग्रसर है। दल के प्रवक्ता एडवोकेट आरबी सिंह पटेल ने एक बयान में कहा कि जनपद बांदा में पिछले पांच दिनों में पांच किसान आत्महत्या कर चुके हैं यही नहीं बैंकों ने जिले में लगभग आठ हजार किसानों को आरसी जारी की गई है। लगभग एक लाख किसान बैंकों का कर्ज लिए हुए हैं सूखा और कर्ज ने साथ में विद्युत बढ़ोत्तरी और महंगाई ने किसानों की कमर तोड़ दी है। आज किसान आत्महत्या करने को मजबूर है। इस भयावह स्थिति से निपटने का प्रशासन के पास कोई विजन नहीं है। केन्द्र और प्रदेश सरकार का अभी तक बुंदेलखंड की किसानों की स्थिति की ओर कोई ध्यान नहीं है लिहाजा अन्नदाता काल के गाल में समा रहा है। सरकार जिम्मेदारी से बचने के लिए चुप्पी साधे हुए है कसवारा में राम किशोर, नरैनी केलाल, मुसीवा के छोटेलाल, महोखर से महेश इन लोगों ने अपने आप को खत्म कर लिया। सरकार से अपील है कि बुंदेलखंड के किसानों का कर्ज माफ कर और उन्हें लागत मूल्य पर कृषि से संबंधित बीज पानी लाइट की व्यवस्था सुनिश्चित करे साथ ही साथ कृषक योजना के तहत प्रत्येक किसानों को लाभान्वित करे।
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