इस बार देर से पहुंचे मानसून ने सूरत समेत दक्षिण गुजरात को मायूस कर रखा है । मानसून की सुस्ती ने सात साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है । पिछले सात साल में इस बार जून-जुलाई में सबसे कम बारिश दर्ज की गई हैं । कई दिनों से ब्रेक मानसून जैसे हालात बने हुए हैं । काली घटाएं बरसे बिना गुजर रही है और उमस बढ़ती जा रही है । मानसून की बेरुखी ने किसानों को चिंता में डाल रखा है कि अगर जल्द अच्छी बारिश का सिलसिला शुरु नहीं हुआ तो खरीफ की फसल पर ग्रहण लग जाएगा । उकाई बांध का जलस्तर भी फिलहाल चिंताजनक है ।
मौसम विभाग की मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी पर किसानों के साथ सभी ने राहत की सांस ली थी, लेकिन अब तक मानसून कमजोर रहने से चिंता बढ़ने लगी है । इस साल जून-जुलाई में मात्र ४१२.४ मिमी बारिश हुई है, जो पिछले सात साल की इस मियाद की सबसे कम बारिश है । सूरत में जून-जुलाई के दौरान २०१३ में १४०२.६ मिमी, २०१४ में ६१६.९ मिमी, २०१७ में ६५७.८ मिमी और २०१८ में ९५३ मिमी बारिश हुई थी ।
उकाई के कैचमेंट विस्तार में कम बारिश के कारण उकाई बांध का लेवल भी पिछले साल के मुकाबले कम है । इस साल गर्मी की शुरुआत में ही सूरत का तापमान ३५ डिग्री तक पहुंच गया था । मार्च और अप्रैल में पारा ४० डिग्री के पार चला गया । गर्मी से बेहाल लोग बारिश का इंतजार कर रहे थे । मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की थी कि हर साल की तरह इस बार भी जून के दूसरे सप्ताह में शहर में मानसून दस्तक दे देगा, लेकिन मानसून का आगमन २४ जून को हुआ था ।
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