लोकसभा के बाद बुधवार को ‘एनआईए संशोधन विधेयक २०१९’ को राज्यसभा ने भी मंजूरी दे दी । अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का शक्ल ले लेगा । इस कानून से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी गंभीर अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का अधिकार मिल जाएगा । बिल को सोमवार को लोकसभा ने मंजूरी दी थी । बुधवार को एनआईए बिल पर बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह बिल इसलिए लाया गया है कि एनआईए दुनिया में कहीं भी भारत के खिलाफ साजिश या देशविरोधी गतिविधियों के मामले की जांच कर सकेगी । उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति से एजेंसी की साख पर बुरा असर पड़ेगा । एनआईए की तारीफ करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि २०१४ से १७ जुलाई २०१९ तक एनआईए ने कुल १९५ केस दर्ज किए । इनमें से १२९ केसों में चार्जशीट फाइल की जा चुकी है । इनमें से ४४ में फैसला भी आ चुका है । ४४ में से ४१ केसों में दोषियों को सजा हुई है । १८४ आरोपियों को दोषी ठहराया गया है । उन्होंने कहा कि दुनिया में जहां पर भी भारतीयों के खिलाफ आतंकी कृत्य होगा तो एनआईए उसकी जांच करेगी ।
बहस के दौरान शाह ने समझौता ब्लास्ट का मुद्दा भी उठाया । गृह मंत्री शाह ने कहा कि विपक्ष ने समझौता ब्लास्ट मामले का जिक्र कर एनआईए पर सवाल उठाया था । उन्होंने कहा कि समझौता ब्लास्ट केस में चार्जशीट ९ अगस्त २०१२ को पेश की गई । उस समय यूपीए सरकार थी । १२ जून २०१३ को दूसरी चार्जशीट पेश की गई । लेकिन चार्जशीट ही कमजोर थी । राजनीतिक कारणों से केस किए गए थे । शुरुआत में ७ लोग पकड़े गए थे । अमेरिका की एजेंसियों ने भी उनके बारे में बताया । लेकिन एक धर्म विशेष को आतंकवाद से जोड़ने के लिए उन ७ लोगों को छोड़ दिया गया और नए लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया । यही वजह थी कि उनके खिलाफ दोष साबित नहीं हुए क्योंकि वे बेगुनाह थे, राजनीतिक वजहों से उन्हें फंसाया गया । अब उन्हें सजा कैसे मिलती जब उनके खिलाफ कोई सबूत ही नहीं था ।
इस पर कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चार्जशीट भले ही यूपीए सरकार के दौरान पेश हुई लेकिन जिरह मोदी सरकार के दौरान हुई ।
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