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विश्व पर्यावरण दिन- जनता और सरकार जागेगी..?

पुरे भारत में भारी गर्मी की वजह से लोग परेशान हो गये गये है। सालों सालो में गर्मी का प्रमाण बढ़ता नजर आ रहा है। यहां तलक की हवा और मौसम में भी रोज बदलाव आता नजर आ रहा है। विश्व के सभी देश पर्यावरण की फिकर करते है, और पर्यावरण के लिए अलग अलग प्रयोग भी करते रहते है। बढ़ते समय के साथ पर्यावरण को भारी नुकशान होता नजर आ रहा है जो देश की आने वाली पीढी के लिए हानिकारक हो सकता है। जिससे पर्यावरण, हवा, और मौसम की वजह से लोगों को नुकशान हो रहा है उसे रोकने के लिए कोई देश क्यो कोई कठोर कदम नही उठाता। लेकिन आने वाले समय की परिस्थिति देखते हुए लोगों को जागृत होना आवश्यक हो गया है।
पर्यावरण को लेके तंत्र हर जगह नही पहुंच सकता लेकिन लोग चाहे वहा पहुंच सकते हे जिससे अब लोगों को पर्यावरण को लेके सावधानी बरतनी होगी। विश्व पर्यावरण को लेकर लोग अवार नवार कार्यक्रमो के माध्यम से पर्यावरण दिन को मनाते है। अपनी आने वाली पीढी की चिंता करते हुए आज भी लोग विश्व पर्यावरण दिन मनाते है। लोकिन जनता के लिए तो प्रदुशण भी हानिकारक और सरकार भी हानिकारक होती दिखाई दे रही है कारण कि पर्यावरण को लेके किया गया विज्ञापन भी जीरो में बदलता दिखाई दे रहा है। जिसकी पर्दे के पिछे हकीकत दुसरी दिखाई दे रही है।
वर्तमान परिस्थ्ति को देखते हुए तो गर्मी के पारे का तापमान 40, 45 और 50 तक पहुंच गया है जो आने वाले समय में लगभग 60 अथवा 65 तक तापमान रहने की संभावना बढ़ेगी तब मनुष्य तो ठीक अन्य प्राणीओं की हालत क्या होगी वो तय नहि किया जा सकता। लेकिन जब आज के पर्यावरण के विचार से आनेवाले समय के पर्यावरण का विचार दिमाग में आता हे तो वो शरीर कांपने पर मजबुर कर देता है। लेकिन वर्तमान की गर्मी को देखते हुए आपके एसी, फ्रीज, कुलर भी काम करना बंद कर दे, तो 60 से 65 के बीच के तापमान में आदमी अथवा प्राणीयों की हालत क्या होगी ये हमारी सोच से बहार है…लेकिन बात अब प्लास्टिक की चीजवस्तुओं के उपयोग पर पाबंदी करनी होगी खास करके जब हम प्रवास मे कही घुमने जाते है तब….आने वाले समय में वरसाद का समय आ रहा जिससे हर व्यक्ति एक बात ठाने की हमें भी पर्यावरण से लाभ लेना हे तो हर व्यक्ति को तीन से चार पेढ पोधे एसे लगाने होगें की जिससे आने जाने व्यक्तिओं को उससे छायां मिले और ओक्सिजन की मात्रा भी बढ़े…आज प्रजा जागृत है तो क्यो नही पर्यावरण के लिए एक कदम उठाये जिससे प्रदुषण की मात्रा में घटोती हो…अगर प्रजा ठाने तो प्रयावरण को सुरक्षित रख सकती है।
बढ़ते समय के साथ और बढ़ते वेज्ञ्यानिक पद्धति से ईलेक्ट्रोनिक वाले परिवहन की संख्या ज्यादा है जिसमें पेर्टोल,डीजल वाले वाहनो पर पाबंदी लगाकर इलेक्ट्रोनिक वस्तु का उपयोग शुरु करना पडेगा। आज भरे बाजारों के बीच प्लास्टिक की बड़ी तादद में बिक्री हो रही लेकिन क्या सरकार उस पर रोक लगाने में कामियाब होगी…? के फिर वर्तमान की लोग और आने वाली पीढी इसी तरह प्रदुषण से परेशान होती रहेगी…? लेकिन 40 % हक पर्यावरण को गंदा होने में जनता का हाथ है और 60% सरकार का। लेकिन 100% जवाबदारी महानगरपालिका की होती जो हमेशा नींद में पाई जाती है। जो प्लास्टिक जेसी वस्तुओ पर रोक लगाने के बजाये मामला पैसे लेके रफे दफे कर देती है। जिससे सरकार को राज्यों की महानगरपालिका पर भी निगहरानी रखनी पडेगी ।तब हम प्रयावरण को लेके जागृत होगें।

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