लोकसभा चुनाव २०१४ की तुलना में इस साल हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी की लोकसभा सीटें २८२ से बढ़कर ३०३ हो गई है । दिलचस्प बात यह है कि बढ़ी हुई इन २१ सीटों में से लगभग आधी सुरक्षित सीटें एससी-एसटी हैं । इससे पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी का जनाधार दलितों और आदिवासियों के बीच बढ़ा है । सुरक्षित सीटों के विश्लेषण से पता चलता है कि इन चुनावों में बीजेपी ने १३१ सुरक्षित सीटों में से ७७ पर जीत हासिल की है, २०१४ में यह आंकड़ा ६७ था । यह इस लिहाज से अहम है क्योंकि ये नतीजे उस आम धारणा के विपरीत हैं जिसके अनुसार माना जाता है कि बीजेपी और दलितों व आदिवासियों के बीच बनती नहीं है । असलियत यह है कि इस बार एससी और एससी और एसटी सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है वहीं कोंग्रेस ने इन क्षेत्रों में अपनी तीन सीटें खोई है । हालांकि पिछले लोकसभा चुनावों की तुलना में कांग्रेस की सीटों में मामूली सुधार हुआ है, वे ४४ से ५२ हुई है लेकिन उसे इस बार महज ९ सुरक्षित सीटों पर कामयाबी मिली, जबकि २०१४ में वह १२ ऐसी सीटों पर विजयी हुई थी । २०१४ के चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश की १७ एससी सीटों में से अधिकतर मायावती की अगुआई वाली बीएसपी के खाते में जाती थीं । लेकिन उन्हें इस बार महज २ सीटें मिली हैं । दलित विचारधारा आधारित यह पार्टी दूसरे प्रदेशों की सुरक्षित सीटों पर तो अपना खाता तक नहीं खोल पाई ।
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