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डिजिटल ट्रांजैक्शंस फ्रॉड में बढ़ा कस्टमर प्रॉटेक्शन

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने डिजिटल ट्रांजैक्शंस में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए इस चैनल में यूजर्स का कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए कस्टमर्स प्रॉटेक्शन के दो उपाय करने का ऐलान किया है । इनमें से एक के जरिए फर्जी डिजिटल ट्रांजैक्शन होने की सूरत में कस्टमर लायबिलिटी घटाई गई है । दूसरे में डिजिटल ट्रांजैक्शन के लिए ग्रीवांस रिड्रेसल मेकेनिज्म लागू किया जाएगा ।
आरबीआई ने कहा है कि जो कस्टमर्स अनऑथराइड्‌ज इलेक्ट्रोनिक ट्रांजैक्शंस के बारे में समय पर सूचित करेंगे, उन्हें उसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा, चाहे जिस इंस्टुमेंट का भी इस्तेमाल किया गया होगा । ये स्कीमें आरबीआई के उस आदेश का विस्तार है, जिसके जरिए उसने कस्टमर्स को ऑनलाइन और क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शंस में होने वाले फ्रॉड से प्रॉटेक्शन दिया था । फ्रॉड होने की सूरत में कस्टमर को मिलने वाले प्रॉटेक्शन का दायरा बढ़ा दिया गया है और प्रीपेड पेमेंट इंस्टूमेंट्‌स के जरिए होने वाले अनऑथराइज्ड इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजैक्शंस को भी शामिल करके कस्टमर लायाबिलिटी को सीमित कर दिया गया है । रिजर्व बैंक दिसंबर के अंत तक इस बाबत गाइडलाइंस जारी कर सकता है ।
पहले आरबीआई ने कहा था कि अगर कस्टमर फ्रॉड की जानकारी तीन वर्किंग डे के भीतर दे देता है, तो उसके लिए उसे जिम्मेदार नहीं करार दिया जा सकता । आरबीआई ने इसेक साथ यह भी कहा कि अगर कस्टमर किसी अनऑथराइज्ड ट्रांजैक्शन की जानकारी ७ दिन के भीतर देता है तो उनके मामलें में कस्टमर लायबिलिटी २५,००० रुपये से ज्यादा नहीं होगी । रिजर्व बैंक ने कस्टमर प्रॉटेक्शन अभियान के तहत डिजिटल ट्रांजैक्शंस के लिए ओबड्‌समैन स्कीम भी शरू की है ।

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