पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियो का दावा है कि बीते महीने हुए आम चुनाव में क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान की जीत के पीछे देश की शक्तिशाली सेना का हाथ था । हालांकि, हकीकत यह है कि एक फोन ऐप और ५ करोड़ वोटर्स का डेटाबेस इमरान खान के सफल चुनावी अभियान का सबसे बड़ा हथियार था । खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने कैसे डेटाबेस और उससे जुड़े ऐप का इस्तेमाल किया, यह पाकिस्तान में बड़ी पार्टियों द्वारा चुनावी अभियान के लिए एपनाए जाने वाले तरीकों में आए बदलाव को दिखाता है । चुनाव से पहले मतदाताओं को टारगेट करना और ठीक चुनाव वाले दिन भी अपने समर्थकों को संघठित करना । पीटीआई ने अपनी इस तकनीक का खुलासा नहीं किया क्योंकि उसे डर था कि विपक्षी भी इसे अपना न लें, लेकिन कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने रॉयटर्स को दिखाया कि कैसे ऐप ने उनके कैंपेन का कायापलट किया और उन्हें जीत दिला दी । फोन ऐप खासतौर पर चुनाव में समर्थकों को चुनावी बुथ तक पहुंचाने में उपयोगी रहा, जबकि पोलिंग बूथ की जानकारी देने वाली सरकार की टेलिफोन इन्फमेंशन सर्विस चुनाव के दिन कई तकनीकी खामियों से जूझती रही, जिससे अन्य पार्टियों घबरा गई । ऐप और ़डेटाबेस का इस्तेमाल करने वाली टीम का हिस्सा रहे आमिर मुगल कहते है, इसका बहुत बड़ा असर रहा । इसे कॉन्सिटीट्यूएंसी मैनेजमेंट सिस्टम के तौर पर जाना गया । मुगल ने बताया कि कैसे इमरान की पार्टी ने पाकिस्तान के चुनावी क्षेत्रों में डेटाबेस तैयार करने के लिए टीमें बनाईं, वोटर्स की पहचान की और उनमें से पीटीआई के वोर्ट का पता लगाया ।
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