कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के संघ कार्यालय जाने के फैसले का बचाव किया । उन्होंने कहा अगर आरएसएस ने मुझे न्योता दिया होता तो मैं भी जाता । संघ के कटु आलोचक और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का यह बयान मध्यप्रदेश के अहम विधानसभा चुनाव से पहले आया हैं, जिसमें उन्होंने आरएसएस पर आतंकवाद को बढावा देेने का आरोप लगाया हैं । अगर आरएसएस ने मुझे बुलाया होता तो मैं भी जाता । आरएसएस सरसंघचालक के साथ मंच साझा करने में क्या बुराई हैं ? मैं गया होता और उनको दिखाता और अपनी विचारधारा को सबके सामने रखता । दिग्विजय ने इस बात को मानने से इनकार किया हैं कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की तरफ से आरएसएस का न्योता स्वीकार करना गलत कदम था । उन्होंने कहा नहीं । ऐसा ऐकदम नहीं हैं । मैं इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता कि हेडगेवार भारत के महान सपूत थे । वह महान नहीं थे । आरएसएस के बुलावे पर जाने प्रणव मुखर्जी के फैसले का दिग्विजय का समर्थन उस संदर्भ में अहम हो जाता हैं जिसमें उन्होंने चुनाव की राह पर बढ रहे मध्यप्रदेश में राजनीतिक विवाद खडा कर दिया हैैं । आरएसएस पर उन्होंने हिंसा धृणा और आतंकवाद फैलाने को आरोप लगाया हैं और उसके लिए एक नया शब्द गढा हैं संधी आतंकवाद । दिग्विजय ने कहा, पहली बात तो यह हैं कि कोेई भी धर्म आतंकवाद को सही नहीं बताता । हिंदुत्व का हिुंदूइज्म से कोई लेना-देना नहीं हैं । दिग्विजय का यह बयान मध्यप्रदेश के तीन बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को नागवार गुजरा हैं । उन्होंने कहा कि कांग्रेस को दिग्विजय खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए । मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने कहा, मुझे बीजेपी नेताओं के कांग्रेस पार्टी से मेरे खिलाफ कदम उठाने की मांग करने पर आश्वर्य हो रहा हैं । उन्होंने जोर देकर कहा कि वह एक सात्विक हिंदू हैं । उन्होंने कहा, बीजेपी के किसी भी शख्स से ज्यादा धार्मिक हूं ।