कर्नाटक विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अपने दलित सांसदों के बगावती तेवरों को देखते हुए बीजेपी आलाकमान ने उन्हें साधने के प्लान पर काम शुरू कर दिया है । पार्टी का यह भी मानना है कि इनमें से कुछ सांसद ऐसे भी हो सकते हैं, जिन्हें अगले चुनाव में अपना टिकट कटने का अंदेशा है । इसके बावजूद अब उन्हें साधने के लिए पीएम मोदी खुद दखल देने वाले हैं ।
पार्टी ने अब पीएम की मौजूदगी में दलित सांसदों को बुलाकर उनकी शिकायतों का समाधान करने की तैयारी की है । पार्टी को यह भी अंदेशा है कि यदि इसी तरह पत्रों और नाराजगी का सिलसिला जारी रहा तो २०१९ में भी बीजेपी के लिए भारी पड़ सकता है । इसके अलावा कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों को लेकर भी पार्टी चिंतित है ।
बता दें कि बीते एक सप्ताह के भीतर ही पार्टी के चार सांसद एक-एक करके प्रधानमंत्री को दलितों के मुद्दो पर पत्र लिख चुके हैं । यही नहीं, बाद में इन सांसदों ने अपने पत्रों को सार्वजनिक भी कर दिया । यह सिलसिला आगे न बढ़े, इसी वजह से जब पार्टी सभी दलित सांसदों के लिए अलग से बैठक करने की योजना पर काम कर रही है । पार्टी को लग रहा है कि इस तरह के पत्र लिखने के सिलसिले को नहीं रोका गया तो इसका असर कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर नजर आ सकता है ।
कर्नाटक में दलित वोटरों का आंकड़ा लगभग १९ फीसदी के आसपास है । ऐसे में पार्टी नहीं चाहती कि बिहार की गलती फीर से दोहराई जाए । इसी वजह से अब पार्टी ने इस अजेंडे पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया है । इसी सिलसिले मेें पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने महासचिव भूपेन्द्र यादव और अन्य नेताओं के साथ बैठक भी की ।
इस बैठक में रणनीति बनाई गई है कि लगातार किसी न किसी शिकायत को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखने वाले सांसदों समेत अन्य सभी दलित सांसदों को एकसाथ बुलाया जाए और उनसे बातचीत करके उनकी नाराजगी को दूर किया जाए ।
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