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શિક્ષણ

ब्रिटेन नहीं अब चीन बन रहा भारतीय छात्रों की पसंद

अब विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों की पहली पसंद ब्रिटेन नहीं रह गया है । ताजा आंकड़ो से पता चलता है कि छात्र ब्रिटेन के मुकाबले चीन को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं । वैसे तो २०१०-११ से ही मेडिसिन की पढ़ाई करने के लिए छात्र चीन जाते रहे हैं लेकिन भारत में हाल ही में लागू नीट के बाद इस संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है । मेडिकल एंट्रेंस का नया सिस्टम कठिन है और छात्रों को क्लियर करने में काफी दिक्कत हो रही है । कुछ छात्र वहां से इंजिनियरिंग करने को भी प्राथमिकता दे रहे है । देश अध्यन की एक्सपर्ट प्रतिभा जैन बताती हैं, यहां कोर्स पर कम खर्च आता है और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया यहां की मेडिकल डिग्री को मान्यता भी देती है । कुछ छात्र पहले रूस जाते थे लेकिन वहां भाषा की बाधा सामने आती है । चीन में ऐसा नहीं हैं । वहां कोर्स इंग्लिश में है इसलिए छात्रों को आसानी होती है । चीन की मेडिकल यूनिवर्सिटीज में औसत ट्युशन फीस २००० से ३००० डॉलर यानी करीब १.५ से २ लाख रुपये है । इसके अलावा १००० डॉलर करीब ६६ रुपये लिविंग एक्सपेंस के तौर पर लिए जाते हैं । वास्तव में चीन अब यूएस और यूके के बाद तीसरा सबसे पसंदीदा स्थान हो गया हैं । २०१५ में चीन जाने वाले छात्रों की संख्या १३,५०० से ज्यादा थी । भारत उन टॉप १० देशों में शामिल है जहां के छात्र बड़ी संख्या में अध्ययन के लिए चीनी यूनिवर्सिटीयों मे जा रहे है ।

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