बीते हफ्ते सीरिया में इस्लामिक स्टेट का गढ़ माना जाने वाला रक्का भी इस आतंकी संगठन से मुक्त हो गया लेकिन इससे भारत की चिताएं बढ़ गई हैं । रक्का में आईएसआईएस के पतन के बाद अब भारत सहित कई देशों को विदेशी लड़ाकों से खतरा है । सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि इस खतरे को गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है । आतंकरोधी अफसरों ने बताया कि भारतीय मूल के कुछ आईएस आईएस लड़ाके, जो साल २०१४ के बाद इराक, सीरिया भागे थे वे अब आईएस की हार के बाद वापस भारत लौटने की कोशिश करेंगे । बुधवार को केरल के रहने वाले आईएस संदिग्ध अब्दुल रज्क, मिदिलाज और एमवी राशिद के तुर्की से वापस आने पर पुलिस द्वारा गिरफ्तारी इसी बात का संकेत है कि आईएस लड़ाके अब वापसी की कोशिश कर रहे हैं । हालांकि, आईएस में शामिल हुए भारतीयों की संख्या यूके, फ्रांस, बेल्जियम या रुस के नागरिकों की तुलना में बेहद कम है लेकिन ये सभी बहुत ज्यादा प्रशिक्षित हैं और ये स्थानीय लोगों के साथ आसानी से घुल-मिलकर स्लीपर सेल्स की तरह काम करने की क्षमता रखते हैं । इतना ही नहीं ये लड़ाके लोन वुल्फ हमले करने में भी सक्षम है । जांचकर्ताओं का कहना है कि अभी तक जिन संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया वे सीरिया और तुर्की में आईएस के लिए लड़ रहे थे । मिली जानकारी के अनुसार रज्क, राशिद और मिदिलाज के शाहजहां वेलुवा कैंडी उर्फ मोहम्मद इस्माइल मोहिदीन से भी तार जुड़े हुए हैं, जिसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इसी साल तब गिरफ्तार किया था जब वह तुर्की से लौटा था । एनआईए को बुधवार को मोहिदीन की ५ दिनों की कस्टडी भी मिल गई है ताकि उससे पूछताछ करके यह पता लगाया जा सके कि और कौन वापस भारत आने की कोशिश कर रहा है । अधिकारियों के मुताबिक इन आशंकाओं के बाद अब तत्काल प्रभाव से भारतीय एयरपोर्ट्स, बंदरगाह, सीमाओं पर नजर बनाए रखने की जरूरत है ।