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गुजरात और हिमाचल चुनाव में वीवीपेट को इस्तेमाल करने तैयारी

चुनाव आयोग ने आगामी गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनावों को वीवीपीएटी मशीनों से कराने का फैसला किया है । हालांकि निश्वित मतदान केंद्रो पर इनसे निकलने वाले पेपर वोट की अनिवार्य काउंटिग नहीं होगी । सुत्रो ने बताया कि चुनाव आयोग फिलहाल एक निश्वित प्रतिशत की वोटिंग वाले मतदान केंद्रो पर अनिवार्य वीवीपीएटी पेपर वोट की काउटिंग कराने के पक्ष में नहीं है और उसका ध्यान केवल नई व्यवस्था को ठीक तरीके से लागु कराने पर है । इस साल के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव संभावित है । चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, हमें चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ने की जरुरत है । गोवा में पहली बार इस्तेमाल के बाद गुजरात और हिमाचल के चुनाव बड़े राज्यो के ऐसे पहले चुनाव होगें जहां शत प्रतिशत वीवीपीएटी आधारित वोटिंग होगी । उन्होंने बताया कि हर विधानसभा में मतदान केंद्रो की निश्वित संख्या पर पेपर ट्रेल की काउटिग से पहले इस नई व्यवस्था को ठीक तरीके से लागु कराना जरुरी है । वीवीपीएटी मशीने ईवीएम पर दर्ज हुए हर वोट का प्रिंटआउट देती है । किसी भी विवाद की स्थिति में इस पेपर ट्रेल का इस्तेमाल किया जा सकता है । चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि काउंटिग नियमों में पहले से ही ऐसी व्यवस्था है कि अगर कैंडिडेट रिजल्ट से संतुष्ट नहीं है, तो पेपर ट्रेल काउंट करा सकता है । उन्होंने कहा कि गुजरात और हिमाचल के चुनावों में भी उम्मीदवार इस ओप्शन का इस्तेमाल कर सकते है । अधिकारी ने स्पष्ट करते हुए बताया कि गोवा में भी कुछ पोलिंग स्टेशनों पर वीवीपीएटी स्लिप की काउटिंग की गई थी । चुनाव आयोग की तरफ से अनिवार्य काउटिग की व्यवस्था नहीं होने के बावजुद चुनाव पर्यवेक्षक के पास अधिकार होगा कि ऐसे निवेदन को स्वीकार करे । इस साल मई में सर्वदलीय बैठक में चुनाव आयोग के सामने पेपर ट्रेल की अनिवार्य काउटिंग का सुझाव आया था । आप समेत कुछ अन्य राजनितिक दलों ने कहा था कि ऐसा होने से वीवीपीएटी पर भरोसा और बढ़ेगा । आप ने हर विधानसभा के २५ फीसदी पोलिंग स्टेशनो पर पेपर स्लिप की अनिवार्य काउंटिग की मांग की थी । हालांकि चुनाव आयोग ने इसे ५ फीसदी घटाने की बात कही थी । इसके अलावा यह भी सुनिश्वित करने की बात हुई थी कि अनिवार्य काउंटिग वाली विधानसभाओं में ५ से कम या १४ से अधिक पोलिंग स्टेशनों पर पेपर ट्रेल की गिनती न हो । हालांकि बाद में यह बात सामने आई कि कम पोलिंग स्टेशनों पर भी अनिवार्य पेपर ट्रैल काउटिग रिजल्ट कम से कम ३ घंटे देर हो सकता है । इसके अलावा बडी विधानसभाओं में इसे लागु करने की अलग ही चुनौतियां है । ऐसे में चुनाव आयोग ने फ्रेमवर्क बनाने के लिए एक आंतरिक कमिटी का गठन किया था । अभी तक कमिटी ने अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है ।

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