भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि उन्हें केंद्र सरकार के नोटबंदी के कदम की कोई जानकारी नहीं थी और यही कारण है कि उन्हें तो खुद नोट बदलवाने के लिए अमेरिका से भारत वापस आना पडा था । गुरुवार को अपनी किताब के सिलसिले में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही । उन्होंने बताया कि यह कुछ भारतीय नोट अपने साथ अमेरिका ले गए थे जिन्हें बदलने के काम से ही भारत आना पड़ा । उन्होंने कहा कि वे अभी भी नोटबंदी के पक्ष में नहीं रहे क्योकि उनका मानना था कि नोटबंदी की तात्कालिक लागत इसके दीर्धकालिक फायदों पर भारी पडेंगी ।
गवर्नर पद पर राजन का तीन साल का कार्यकाल ४ सितंबर २०१६ को पुुरा हो गया । सरकार ने आठ नवंबर २०१६ को नोटबंदी की घोषणा की जिसके तहत ५०० और १००० रुपये के मौजुदा नोटो को चलन से बाहर कर दिया गया । राजन ने कहा कि सरकार ने फरवरी २०१६ में नोटबंदी पर उनकी राय मांगी थी और उन्होंने मौखिर रुप से अपना सुझाव दिया था । एक अन्य सवाल के जवाब में राजन ने कहा कि जीडीपी ग्रोथ को बल देने के लिए भारत को तीन क्षेत्रों बुनियादी, ढांचा, बिजली एवं निर्यात कर ध्यान केंद्रित करना चाहिए । जब पुछा गया किय कग्या वो भारत में कोई अन्य पद संभालने के लिए लौटना चाहेंगे या अमेरिका में पढाकर खुश है, राजन ने कहा कि अगर उन्हें बुलाया जाता है और अगर उन्हें ऐसी जगह दी जाएगी जहां वह बडा बदलाव ला सकते है तो वह जरुर आना चाहेंगे ।