नीति आयोग के नवनियुक्त उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने शुक्रवार को कहा कि मजबूत आर्थिक बुनियाद, बेहतर मॉनसून और एफडीआई व सेवा क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर ७.० से ७.५ प्रतिशत रहने की उम्मीद हैं । पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट का कारण नोटबंदी नहीं हैं । पहली अप्रैल-जून की तिमाही में घटकर ५.७ प्रतिशत पर आ गई हैं । यह इसका तीन साल का निचला स्तर हैं । यह लगातार दूसरी तिमाही हैं जबकि भारत की जीडीपी ग्रोथ चीन से पीछे रही हैं । मैन्युफैक्चरीग गतिविधियों में सुस्ती के बीच नोटबंदी का असर कायम रहने से जीडीपी की वृद्धि दर कम रही हैं । चीन ने जनवरी- मार्च और अप्रैल जून तिमाहियों में ६.९ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की हैं । इससे पीछली तिमाही (जनवरी-मार्च) में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर्ज ६.१ प्रतिशत रही थी । २०१६-१७ की पहली तिमाही की संशोधित वृद्धि दर ७.९ प्रतिशत थी । इससे पहले जनवरी-मार्च २०१४ में जीडीपी की वृद्धि दर ४.६ प्रतिशत दर्ज हुई थी । सालाना आधार पर विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (ग्रोस वैल्यू एडेड) भारी गिरावट के साथ १.२ प्रतिशत रह गया । एक साल पहले समान तिमाही में यह १०.७ प्रतिशत रहा था। इसकी मुख्य वजह यह रही कि एक जुलाई को जीएसटी के लागू होने की वजह से कंपनियां उत्पादन के बजाय पुराना स्टॉक निकालने पर ध्यान दे रही थी । अलग से जारी एक अन्य आधिकारिक आंकड़े के अनुसार जुलाई महीने में आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर घटकर २.४ प्रतिशत पर आ गई हैं । मुख्य रुप से कच्चे तेल, रिफाइनरी उत्पादों, उर्वरक और सीमेंट उत्पादन में गिरावट से बुनियादी उद्योगो की वृद्धि दर घटी हैं । नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था जीएसटी को लेकर अनिश्चितता की वजह से कार, एफएमीजी और परिधान कंपनियों का ध्यान अपना स्टॉक निकालने पर था ।
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