अहमदाबाद शहर में टूटे हुए रास्तों के मामले में भारी दवाब के आखिर में म्युनिसिपल प्रशासन द्वारा अब विजिलन्स विभाग द्वारा चल रही जांच पर आधार रखने के बजाय बाहर से कन्सल्टन्ट की नियुक्ति करके ओडिड कराने का काम शुरू किया गया है । इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार, अहमदाबाद शहर के टूटे हुए रास्तों के मामले में जुलाई महीने की २८ तारीख को हुई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन की सामान्य सभा में विपक्ष के साथ सत्ताधीश पार्टी के कॉर्पोरेटरों द्वारा की गई जांच के बाद शहर के मेयर और बोर्ड के अध्यक्ष ऐसे गौतम शाह को गृह को आश्वासन दिया था कि, एक सप्ताह में शहर के रास्ते पहले जैसे थे वैसे कर दिए जायेंगे फिर भी शहर के रास्तों का रिसरफेसिंग करने का काम अभी चाहिए उतनी तेजी से नहीं हो सका है । दूसरी तरफ स्टेन्डिंग कमिटी के चेयरमैन प्रवीण पटेल ने तो हद पार करके १० अगस्त को हुई स्टेन्डिंग कमिटी के आखिर में शहर के टूटे हुए रास्तों में से ५७ किलोमीटर के रास्ते जो डिफेक्ट लायबलिटी में नहीं आते वह आज रात से ही रिसरफेस होने शुरू हो जायेंगे ऐसी घोषणा की थी यह घोषणा को भी १५ दिन से ज्यादा का समय बीत गया फिर भी प्रशासन द्वारा यह मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया है । इस दौरान म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के आधिकारिक सूत्रों की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार सत्ताधीश पार्टी को २९ अगस्त को म्युनिसिपल बोर्ड की सामान्य बैठक में शहर के टूटे हुए रास्तों और महामारी मामले में भारी विरोध विपक्ष द्वारा किया जाएगा ऐसी दहशत है इस परिस्थिति में अहमदाबाद शहर में टूटे हुए रास्तों के मामले में बाहर से विशेषज्ञ कन्सल्टन्ट की नियुक्ति करने के मामले को प्राथमिकता दी जा रही है ।