भारत की बड़ी फोन कंपनियां मार्केट शेयर हासिल करने की भीषण जंग में भले ही पैसा झौक रही हो, लेकिन बेहद कम टैरिफ वाले प्लान ऑफर करते हुए सब्सक्राइबर्स को अपनी और खींचने की जो होड़ रिलायंस इन्फोकॉम की एंट्री के साथ शुरु हुई हैं । वह अपने अंतिम दौर में पहुंच चुकी हैं । यह बात एसएंडपी ग्लोबल रेटिग्स ने मंगलवार को कही । इस ग्लोबल रेटिंग एजेंसी को उम्मीद हैं कि जियो अगले १२-१८ महीनों में अपनी कोम्पिटिटिव स्ट्रैटेजी को एक तार्किक स्वरुप देगी और ठीक-ठाक रेवेन्यू और मार्जिन हासिल करने पर फोकस करेगी । एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के क्रेडिंट ऐनालिस्ट आशुतोष शर्मा ने कहा कि भारी डिस्काउंट देने की यह महंगी राजनीति हमेशा नहीं चलाई जा सकती हैं । हालांकि एजेंसी ने स्वीकार किया कि जियो के आक्रामक कदमों ने इस गेम की सभी प्रतिभागियों की आमदनी, मार्जिन और कैश फ्लो पर असर डाला हैं । शर्मा के अनुसार इंडिया में तेज होती टेलिकोम वॉर में हंगर गेम्स मूवी के सभी पहलू हैं । इसमें प्रतिद्वंद्विता, दबंगई और कमजोर को किनारे कर देने का पूरा खेल हैं । इन्वेस्टर्स, फाइनेंसर्स, एनालिस्ट्स और सरकार इसे दम साधकर देख रहे हैं । पिछले साल जियो की ऐट्री ने खासतौर से वॉइस सर्विसेज के मामले में बड़ा असर डाला हैं । जिसका इस सेक्टर की आमदनी में ८० प्रतिशत योगदान रहा हैं । जियो के डेटा रेट्स भी पहले की कंपनियों से कम हैं । ऐसे में एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर को जियो के फ्री वोइंस कोल्स और कम प्राइस वाले डेटा ओफर्स की बराबरी की कोशिश करनी पड़ी हैं ताकि कस्टमर्स को बांधे रखा जा सके । हालांकि इस कोशिश में आमदनी और मुनाफे को चपत लगी हैं ।