गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू हुए एक महीने का समय हो गया है । सरकार जिस तरीके से नीति अपना रही है यह देखते हुए ही व्यापारियों ने नई व्यवस्था के तहत रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं लिया है वह भी नंबर लेने के लिए आगे आये है । जीएसटी की सभी प्रक्रिया ऑनलाइन है, लेकिन जिन व्यापारियों को प्रोविजनल आईडी दे दिया गया हो, लेकिन उनको नंबर रद्द कराने का हो तब ऑनलाइन व्यवस्था नहीं होने के कारण यह व्यापारी मुश्किल में आ गये है । उल्लेखनीय है कि यह व्यापारियों को फिलहाल कॉमर्शियल टैक्स डिपार्टमेन्ट में मेन्युअली अर्जी देकर नंबर रद्द कराने का कामकाज कर रहे है । जो व्यापारी वेट, सर्विस टैक्स तथा एक्साइज टैक्स के तहत ढांचा में आते हो उनका ओटोमेटिक जीएसटीएन में रजिस्ट्रेशन हो चुका है, जबकि टैक्स के नये ढांचे के तहत अन्य व्यापारी भी जीएसटी के रजिस्ट्रेशन के लिए आगे आये है । यह व्यापारियों को जीएसटीएन के तहत प्रोविजन आईडी नंबर दिया जाता है और कानून के तहत उनको प्रोविजन आईडी नंबर रद्द कराना हो तो ३० दिन में रद्द करा सकते है, लेकिन इस बारे में रद्द कराने की ऑनलाइन व्यवस्था नहीं होने के कारण व्यापारी फिलहाल परेशानी में आ गये है । टैक्स विशेषज्ञों के बताये अनुसार ३० दिन में यह व्यापारी प्रोविजन आईडी नंबर रद्द नहीं कराये तो उनको नियम के तहत जीएसटी चुकाना होता है । प्रोविजन आईडी नंबर रद्द कराने की ऑनलाइन व्यवस्था नहीं होने के कारण व्यापारियों को डिपार्टमेन्ट की ऑफिस तक चक्कर लगाना पड़ता है । इस बारे में टैक्स बार एसोसिएशन के प्रेसिडेन्ट वारिश इशानी के बताये अनुसार प्रोविजन आईडी नंबर देने के बाद रद्द कराने की हाल ऑनलाइन व्यवस्था नहीं होने से व्यापारियों को फिलहाल मेन्युअली अर्जी का सहारा ले रहे है, जिसकी वजह से व्यापारियों को परेशानी का सामना करना पड रहा है ।
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