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सीमा को खुला छोडना ना समजी है : सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री शनमुगरत्नम

सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री थर्मन शनमुगरत्नम ने यह कहते हुए अपनी वीजा व्यवस्था का बचाव करने का प्रयास किया कि उसका एक तिहाई श्रमबल पहले ही विदेशी है और लोगों के प्रवाह पर नियंत्रण के संबंध में उन्होंने कहा कि बिना किसी नीतिगत ढांचे के सीमा को खुला रखना नासमझी भरा कदम होगा । सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री का यह बयान काफी अहम है, क्योंकि भारतीय आईटी कंपनियां इस समूचे क्षेत्र में अपने ग्राहकों को सेवापूर्ति के लिए उसे द्वार के तौर पर इस्तेमाल करती हैं । वह यहां दिल्ली इकनॉमिक्स सम्मेलन में बोल रहे थे । टीसीएस, एचसीएल, इंफोसिस, विप्रो समेत सभी बड़ी भारतीय प्रौद्योगिकी कंपनियों की सिंगापुर में मौजूदगी है । सिंगापुर भारतीय प्रौद्योगिकी कर्मियों को वीजा जारी करने में रुढ़िवादी कदम अपना रहा है, ऐसे में कंपनियों के लिए अपनी श्रमशक्ति बनाए रखना लगातार मुश्किल हो रहा है । शनमुगरत्नम ने कहा कि ५५ लाख जनसंख्या में ३५ लाख सिंगापुरी नागरिक है । उन्होंने कहा, हमारे कार्यबल में एक तिहाई पहले से ही विदेशी हैं, ऐसे में यदि अपने रोजगार बाजार में लोगों के प्रवाह पर नियंत्रण से संबंधित किसी नीतिगत ढांचे के बगैर आपकी सीमा खुली रहती है तो यह नासमझी वाला कदम होगा । यह गलत राजनीति होगी और गलत आर्थिकी भी होगी । सिंगापुर उपप्रधानमंत्री ने भारत में तेजी से रोजगार सृजन के लिए अविलंब श्रम सुधारों को बढ़ाने की जरूरत बताई है ताकि देश में उपलब्ध भारी श्रम बल जनसांख्यिकीय लाभ के बजाय संकट में तब्दील नहीं हो । उन्होंने यहां दिल्ली इकनॉमिक्स सम्मेलन में कहा, भारत की सबसे बड़ी चुनौती नौकरियों का सृजन है । यह आने वाले समय की असल चुनौती है, क्योंकि भारत पहले ही ढेर सारा वक्त गंवा चुका है, काफी वक्त निकल चुका है क्योंकि आपके पास कानून है, आपके पास रोजगार कानून है जो रोजगार विरोधी है ।

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