भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण को लेकर ब्रिटिश कोर्ट में दो हफ्ते तक होनेवाली सुनवाई ४ दिसम्बर से शुरु हो जाएगी । वेस्टमिस्टर मैजिस्ट्रेट की अदालत को बताया गया है कि भारत सरकार ने मुकदमे से जुड़े सारे साक्ष्य जमा करा दिए हैं और क्राउन प्रोसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने इनकी समीक्षा भी कर ली हैं । इसी जानकारी पर अदालत ने सुनवाई की तारीख तय कर दी । चीफ मैजिस्ट्रेट एमा अर्बथनट ने सीपीएस को जुलाई के आखिर तक सभी २००० पन्नों के साक्ष्य की समीक्षा करने का निर्देश दिया । माल्या का पक्ष रखनेवाले बेन वाटसन ने कहा कि हमारे पास अब २००० से ज्यादा पन्नों का दस्तावेज हैं । अभी यह अच्छी तरह से स्पष्ट नहीं है कि क्या ये सारे दस्तावेज काम के हैं । अगर हमें इस महीने के आखिर तक एक ओपनिंग नोट हाथ लग जाए तो हमें बड़ी मदद मिल जाएगी । वाटसन ने कोर्ट को कहा कि हमें उन साक्ष्यों का और गहन विश्लेषण करने की जरुरत हैं । जिन पर वो प्रत्यर्पण मामले में कानूनी पड़तालों के लिए भरोसा जता रहे हैं, खासकर सेक्शन ८४ के लिए । सेक्शन ८४ के तहत जज को तय करना होता है कि क्या उपलब्ध सबूत मुकदमा चलाने के लिहाज से पर्याप्त हैं । अगर ऐसा नहीं हो तो जज को आरोप से मुक्त करने का फैसला देना होता हैं । इधर, भारत सरकार की तरफ से सीपीएस का प्रतिनिधित्व कर रहे मार्क समर्स क्यू सी ने कहा कि उन्हें इंडियन अथोरिटीज से शानदार सहयोग मिला हैं । उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने प्रथम द्दष्टया आरोप गठित करने के लिए जरुरी तथ्य सौंप दिए हैं और सीपीएस ने इनकी समीक्षा भी कर ली हैं ।
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