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महबूबा मुफ्ती ने रिहा होने के बाद की पीडीपी नेताओं संग बैठक

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती करीब चौदह महीने के बाद रिहा हुई हैं। रिहा होने के बाद उनकी पहली तस्वीर सामने आई है, जिसमें वह अपनी पार्टी पीडीपी के नेताओं के साथ बैठक करती दिखाई दे रही हैं। उनकी रिहाई से जम्मू-कश्मीर में सियासी गतिविधियां तेज होने के आसार हैं। अनुच्छेद 370 हटने के दौरान हिरासत और फिर पीएसए के तहत नजरबंद महबूबा की रिहाई के कई मायने निकाले जा रहे हैं। महबूबा मुफ्ती की पार्टी के नेताओं ने उनसे उनके आवास पर ही मुलाकात की। रिहा होते ही महबूबा ने अपने बयान के जरिए एजेंडा घोषित कर दिया है। रिहा होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने ट्विटर हैंडल पर अपना बयान जारी कर विशेष दर्जे के लिए जद्दोजहद जारी रखने का एलान किया। महबूबा ने कहा-मैं एक साल से भी ज्यादा अरसे बाद रिहा हुई हूं। पांच अगस्त के काले दिन का काला फैसला हर पल मेरे दिल और रूह पर वार करता रहा। यही कैफियत जम्मू-कश्मीर के तमाम लोगों की रही होगी। कोई भी शख्स उस दिन की डाकाजनी और बेइज्जती को कतई भूल नहीं सकता। सभी को इरादा करना होगा कि जो दिल्ली दरबार ने पांच अगस्त को गैर आईनी, गैर जम्हूरी, गैर कानूनी तरीके से हमसे छीन लिया, उसे वापस लेना होगा। उसके साथ-साथ कश्मीर मसला, जिसके लिए हजारों लोगों ने अपनी जानें न्योछावर कीं, उसको हल करने के लिए जद्दोजहद जारी रखनी होगी। ये राह कतई आसान नहीं है, लेकिन इसके लिए जद्दोजहद जारी रखनी होगी, मैं चाहती हूं कि तमाम जेलों में बंद लोगों को भी अब रिहा किया जाए। नेशनल कांफ्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को मार्च में ही रिहा कर दिया गया था। इसके बाद लगातार महबूबा को रिहा करने की मांग उठ रही थी। सरकार को इसके लिए बार-बार कठघरे में खड़ा किया जा रहा था। महबूबा की बेटी इल्तिजा ने सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए याचिका दाखिल की थी। जिस पर 29 सितंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसी को कब तक नजरबंद रखा जा सकता है। इस मामले में 15 अक्तूबर को सुनवाई तय थी। इससे पहले ही प्रदेश सरकार ने महबूबा को मुक्त कर सकारात्मक कोशिश की है।

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