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कांग्रेस द्वारा शिक्षा पर उठाए गए सवाल पर मानव भाजपा ने दिया जवाब!

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के द्वारा वर्तमान शिक्षा व्यवस्था की आलोचना करने पर भारतीय जनता पार्टी ने कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए कांग्रेस के सारे आरोप को खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने कहा था कि देश की शिक्षा व्यवस्था को नरेंद्र मोदी की सरकार ने गर्त में डाल दिया है जिसकी आज भाजपा ने कड़ी शब्दों में निंदा किया है। पार्टी ने कहा है कि मैं कांग्रेस प्रवक्ता की झूठी और अनर्गल आरोप को भाजपा सिरे से खारिज करती। पार्टी ने कहा कि कांग्रेस के शासन काल में क्या किया गया था और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन काल में क्या किया गया है वह देश की जनता अच्छी तरह से देख रही है और जान रही है।

एक आंकड़ा पेश करते हुए पार्टी ने कहा कि कांग्रेस के शासन काल के दौरान 2013-2014 सत्र के दौरान 77 प्रतिशत युवा जनसंख्या जिनकी उम्र 18-23 के बीच थी उच्च शिक्षा के लिए नामांकित ही नहीं किया गया। 2013- 2014 के दौरान लगभग 83 यानि 82.85 लाख छात्रों को डिग्री प्रदान किया गया। जबक 2018-2019 के दौरान लगभग 91 लाख 90.92 लाख छात्रों को डिग्री प्रदान किया गया। यानि इसमें लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। आकंडा पेश करते हुए पार्टी ने कहा कि 2018-19 में, 40,813 पीएचडी डिग्रियों को प्रदान किया गया जबकि 2013-14 में 23,861 पीएचडी डिग्रियों को प्रदान किया गया। 2018-19 में प्रदान की गई पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री की संख्या 15 लाख है, जहां 2013-14 में 13 लाख पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री प्रदान की गई थी।

जबकि कांग्रेस के शासन काल के दौरान 2013-2014 सत्र के दौरान में पीएचडी प्रोग्राम चलाने वाले कॉलेजों का प्रतिशत 2.2 था। जहां अब 2018-19 में 2.5 प्रतिशत कॉलेज पीएचडी कार्यक्रम चला रहे हैं। 2013-14 में, पीएचडी कार्यक्रमों में केवल 1 लाख छात्रों का नामांकन हुआ था, जो कि 2018-19 में बढ़कर 1.70 लाख हो गया है। अब कुल नामांकन का 0.5 प्रतिशत पीएचडी कार्यक्रम में है, जबकि 2013-14 में यह 0.3 प्रतिशत था। पीएचडी और एम.फिल दोनों में नामांकन अब लगभग 2 लाख है जहां 2013-14 में यह 1.39 लाख था। 2018-19 में, केवल 34.8 प्रतिशत कॉलेज में एकल कार्यक्रम चल रहे हैं, जहां 2013-14 में 43 प्रतिशत कॉलेज एकल कार्यक्रम चला रहे थे।

2013-15 हालांकि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में नामांकित छात्रों की संख्या 2013-14 में 49.8 लाख से घटकर 2018-19 में 48.2 लाख हो गई है, यह देखा गया है कि नामांकन अन्य धाराओं जैसे विज्ञान में (2013-14 में 32.2 लाख से 2018-19 में 47.1 लाख तक), वाणिज्य में (2013-14 में 32.6 लाख से 2018-19 में 40.3 लाख तक) और मेडिकल में (2013-14 में 7.1 लाख से 2018-19 में 12 लाख तक) वृद्धि हुई है। यह छात्रों द्वारा पाठ्यक्रमों के लिए वरीयताओं में बदलाव को दर्शाता है। इसका एक कारण कई निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों का बंद होना भी हो सकता है, जो व्यावसायिक उद्यमों के रूप में चल रहे थे । एससी का प्रतिनिधित्व 2013-14 में शिक्षण स्थिति में 7 प्रतिशत था जो 2018-19 में बढ़कर 8.8 प्रतिशत हो गया है। इसी तरह, 2013-14 में एसटी का प्रतिनिधित्व शिक्षण स्थिति में 2 प्रतिशत था जो अब बढ़कर 2.4 प्रतिशत हो गया है। इस तरह देखा जाए तो कांग्रेस के शासन काल की तुलना में हमारी सरकार ने शिक्षा को बेहतर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। जो कांग्रेस के शासनकाल की तुलना में कहीं बहुत बेहतर रह से देख रही है और जान रही है।

एक आंकड़ा पेश करते हुए पार्टी ने कहा कि कांग्रेस के शासन काल के दौरान 2013-2014 सत्र के दौरान 77 प्रतिशत युवा जनसंख्या जिनकी उम्र 18-23 के बीच थी उच्च शिक्षा के लिए नामांकित ही नहीं किया गया। 2013- 2014 के दौरान लगभग 83 यानि 82.85 लाख छात्रों को डिग्री प्रदान किया गया। जबक 2018-2019 के दौरान लगभग 91 लाख 90.92 लाख छात्रों को डिग्री प्रदान किया गया। यानि इसमें लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। आकंडा पेश करते हुए भाजपा ने कहा कि 2018-19 में, 40,813 पीएचडी डिग्रियों को प्रदान किया गया जबकि 2013-14 में 23,861 पीएचडी डिग्रियों को प्रदान किया गया। 2018-19 में प्रदान की गई पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री की संख्या 15 लाख है, जहां 2013-14 में 13 लाख पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री प्रदान की गई थी।

जबकि कांग्रेस के शासन काल के दौरान 2013-2014 सत्र के दौरान में पीएचडी प्रोग्राम चलाने वाले कॉलेजों का प्रतिशत 2.2 था। जहां अब 2018-19 में 2.5 प्रतिशत कॉलेज पीएचडी कार्यक्रम चला रहे हैं। 2013-14 में, पीएचडी कार्यक्रमों में केवल 1 लाख छात्रों का नामांकन हुआ था, जो कि 2018-19 में बढ़कर 1.70 लाख हो गया है। अब कुल नामांकन का 0.5 प्रतिशत पीएचडी कार्यक्रम में है, जबकि 2013-14 में यह 0.3 प्रतिशत था। पीएचडी और एम.फिल दोनों में नामांकन अब लगभग 2 लाख है जहां 2013-14 में यह 1.39 लाख था। 2018-19 में, केवल 34.8 प्रतिशत कॉलेज में एकल कार्यक्रम चल रहे हैं, जहां 2013-14 में 43 प्रतिशत कॉलेज एकल कार्यक्रम चला रहे थे।

2013-15 हालांकि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रमों में नामांकित छात्रों की संख्या 2013-14 में 49.8 लाख से घटकर 2018-19 में 48.2 लाख हो गई है, यह देखा गया है कि नामांकन अन्य धाराओं जैसे विज्ञान में (2013-14 में 32.2 लाख से 2018-19 में 47.1 लाख तक), वाणिज्य में (2013-14 में 32.6 लाख से 2018-19 में 40.3 लाख तक) और मेडिकल में (2013-14 में 7.1 लाख से 2018-19 में 12 लाख तक) वृद्धि हुई है। यह छात्रों द्वारा पाठ्यक्रमों के लिए वरीयताओं में बदलाव को दर्शाता है। इसका एक कारण कई निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों का बंद होना भी हो सकता है, जो व्यावसायिक उद्यमों के रूप में चल रहे थे । एससी का प्रतिनिधित्व 2013-14 में शिक्षण स्थिति में 7 प्रतिशत था जो 2018-19 में बढ़कर 8.8 प्रतिशत हो गया है।

इसी तरह, 2013-14 में एसटी का प्रतिनिधित्व शिक्षण स्थिति में 2 प्रतिशत था जो अब बढ़कर 2.4 प्रतिशत हो गया है।इस तरह देखा जाए तो कांग्रेस के शासन काल की तुलना में हमारी सरकार ने शिक्षा को बेहतर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। जो कांग्रेस के शासनकाल की तुलना में कहीं बहुत बेहतर है।

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