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कश्मीर से विस्थापित पंडितों को फिर वहां बसाने का प्लान : राम माधव

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कश्मीर से विस्थापित पंडितों को फिर से वहां बसाने के प्लान पर आगे बढ़ेगी । अगर ऐसा हुआ तो घाटी में तनाव बढ़ सकता है । बीजेपी महासचिव राम माधव ने कहा कि उनकी पार्टी विस्थापित पंडितों को दोबारा बसाने को लेकर प्रतिबद्ध है । बीजेपी के जम्मू-कश्मीर प्रभारी माधव ने कहा कि कश्मीर में १९८९ में आतंकवाद शुरू होने के बाद वहां से विस्थापित हुए करीब २ से ३ लाख हिंदुओं को वहां फिर से बसाने में मदद करेगी । राम माधव ने कहा, कश्मीरी पंडितों के घाटी में लौटने के मूल अधिकारों का सम्मान करना होगा । साथ ही, हम उन्हें उचित सुरक्षा प्रदान करेंगे । उन्होंने कहा कि सूबे की पिछली बीजेपी समर्थित सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए अलग से कॉलोनी बनाने या फिर मिश्रित टाउनशिप के निर्माण पर विचार किया था लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो पाई । इस मुद्दे पर जब गृह मंत्रालय से टिप्पणी मांगी गई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया । बीजेपी को भरोसा है कि वह जम्मू-कश्मीर विधानसभा के आगामी चुनाव को जीत जाएगी । राम माधव ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि जब हम सत्ता में आएंगे तो इस मुद्दे पर फिर आगे बढ़ेंगे और देखेंगे कि इसका क्या हल निकल सकता है । दूसरी तरफ, कश्मीर पंडित समुदाय के नेता संजय टिकू बीजेपी के इस प्लान से असहमति जाहिर कर रहे हैं । ९० के दशक में अपने खिलाफ हिंसा से जहां ज्यादातर कश्मीरी पंडित घाटी छोड़कर विस्थापन को मजबूर हो गए, वहीं टिकू ने कश्मीर में रहना जारी रखा । उन्होंने कहा कि पंडितों के लिए अलग से कॉलोनियां बनाना और उसके लिए सुरक्षा के बढ़े हुए इंतजाम करना समस्या का वास्तविक हल नहीं है । इससे घाटी में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है । उन्होंने कहा, क्या यह मुमकिन है कि किसी पिंजरे के कैदी जैसा जीया जाए….चाहे जितनी भी सुरक्षा हो ? इस बीच, पिछले महीने ऑल इंडिया हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने कुछ कश्मीरी पंडितों से मुलाकात की थी । इस दौरान पंडितों के लिए अलग से कॉलोनियां बसाने को लेकर कोई सर्वसम्मति नहीं दिखा । हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारुक ने कहा, अगर आप उन्हें अलग कॉलोनियों में रखते हैं तो यह इस उद्देश्य को ही खत्म कर देगा । इसका उद्देश्य समुदायों के बीच आपसी विश्वास और सम्मान की भावना को बढ़ाना है लेकिन अलग कॉलोनियों से तो यह उद्देश्य ही मर जाएगा ।

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