वाणिज्य मंत्रालय द्वारा आज स्टील पर क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) पर भारत का क्या रूख हो उस पर ट्रेड तथा इंडस्ट्री की एक मीटिंग उद्योग भवन में बुलाई जिसमें कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) सहित अनेक प्रमुख स्टील उत्पादकों एवं संगठनों ने भाग लिया। बैठक में वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल मौजूद थे।
मीटिंग में कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने एक ज्ञापन देकर कहा की स्टील में आरसीपी समझौता घरेलू विनिर्माण और व्यापार के हितों के खिलाफ चलेगा और अर्थव्यवस्था को एक हद तक प्रभावित करेगा। यह भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि देश में व्यापार संतुलन पहले से ही काफी हद तक ठीक नहीं है। इसलिए भारत को स्टील और अन्य संबद्ध उत्पादों पर किसी भी आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए।
खंडेलवाल ने कहा की आरसीईपी, जो एक बड़ा मुक्त व्यापार समझौता है, आरसीईपी देशों विशेष रूप से दक्षिण कोरिया और चीन सहित अन्य आरसीपी देश निर्यात के मोर्चे पर अपेक्षाकृत कम लाभ के साथ भारतीय बाजार में अपने माल को लादेंगे और इसलिए आरसीईपी समझौते के मामले में एक सतर्क दृष्टिकोण की आवश्यकता है। भारत के लिए, टैरिफ दर (आयात शुल्क) आरसीपी समझौते के मामले में बेहद अहम् हैं, क्योंकि आरसीईपी में शामिल सभी देशों के साथ भारत के व्यापार समझौते नहीं हैं।