बलात्कारी बाबा गुरमीत राम रहीम के कारनामों के सामने आने के बाद एक रिपोर्ट ऐसी भी आई है जिसको देखकर आप इस चिंता में पड़ जाएगे कि कई बार हम कैसे लोगों को चुन कर संसद और विधानसभा तक भेज देते हैं । भारत की जनता ने जिन सांसदों और विधायकों को चुनकर नियम बनाने के लिए संसद और विधानसभा में भेजा हैं, उनमें से लगभग हर तीसरा जनप्रतिनिधि ऐसा हैं जिस पर खुद ही अपराधिक मुकदमा दर्ज है । देश के ३३ फीसदी सांसद और विधायक आपराधिक बैकग्राउंड वाले हैं । कई प्रतिनिधियों के खिलाफ तो बलात्कार जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं । देशभर के ५१ सांसद और विधायक तो ऐसे हैं जिनके उपर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं । यह किसी व्यक्ति के आरोप नहीं हैं बल्कि यह जानकारी खुद सांसद और विधायकों द्वारा दिए गए हलफनामे से सामने आई हैं । जिसके बारे में एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स नाम की संस्था ने रिपोर्ट प्रकाशित की हैं । एचडीआर के अध्ययन में जो बातें सामने आई हैं । वह वाकई चौंकाने वाली हैं और दिखाती हैं कि राजनीति में अपराधियों का बोलबाला किस तरह से बढ़ता जा रहा हैं । एडीआर ने ४८५२ विधायकों और सांसदों के हलफनामें का अध्ययन करने के बाद यह रिपोर्ट प्रकाशित की हैं । पार्टी के जिन जनप्रतिनिधियों के उपर आपराधिक मामले दर्ज हैं, उनमें से सबसे बड़ी संख्या भाजपा की है । जिसके १४ सांसदों, विधायकों के खिलाफ मामले दर्ज हैं । दूसरे नंबर पर शिवसेना है, जिसके ७ प्रतिनिधियों पर अपराधिक मामले दर्ज हैं और तीसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस हैं । चार विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ बलात्कार से संबंधित मुकदमा दर्ज हैं । इन में से एक-एक आंध्र प्रदेश गुजरात, उड़ीसा और बिहार से हैं । पिछले ५ सालों में मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों ने २९ ऐसे लोगों को टिकट दिया, जिनके खिलाफ बलात्कार के मुकदमे दर्ज हैं ।
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