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अब मोदी सरकार के निशाने पर डॉक्टर और दवा कंपनियां

हमारा देश दुनिया के बडे दवा बाजारो में एक है । इसे देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार दवा निर्माता कंपनियो के लिए पहली दफा ऐसा कानुन बना रही है जिसके तहत उन्हें डोक्टरो एवं दवा दुकानदारो को १००० रुपये से ज्याका के गिफ्ट या ट्रिप देने पर पाबंदी लग जाएगी । इस संबंध में प्रस्तावित मसौदे की कोपी रोयटर्स के हाथ लगी है । हालांकि, दुनिया के अन्य देशो में इस तरह के नियम आम है जो दवा कंपनियां इनका पालन भी करती है, लेकिन यह भारत में लागु नही है । यही वजह है कि दवा बिक्री के लिए अनैतिक तिकडमों पर कुठाराघात करने की मांग उठती रहती है । कंपनियां डोक्टरो एवं दवा दुकानदारो को अपनी दवा प्रिस्फ्राइब करने के लिए इलेक्ट्रिक अप्लायंसेज से लेकर विदेश भ्रमण तक के खर्चे उठाती है । अभी दवा कंपनियों के लिए जो कानुन मौजुद है, उन्हें एक्सपट्‌र्स निष्प्रभावी मानते है । मशहुर गैस्ट्रोइंटेस्टिनल सर्जन समीरन नंदी कहते है, देश में डोक्टरो के भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी बडे पैमाने पर व्याप्त है । हमने इसके कई तरीके देखे है । डोक्टरो को उपहार देने से लेकर थाइलैंड जैसे देशो में आयोजित सम्मेलनो में भाग लेने का खर्च उठाने तक । उन्होने कहा, अच्छी बात है कि मार्केटींग रुल्स लागु होने वाले है, लेकिन भारत में कई कानुन है जिन्हें सही से लागु नहीं किया गया है । उम्मीद है कि इन्हें अच्छे से लागु किया जाएगा । डिपार्टमेंट ओफ फार्मास्युटिकल्स की और से तैयार मसौदे की कानुन मंत्रालय समीक्षा कर रहा है । इस प्रस्तावित मसौदे में मार्केटींग पर खर्च की सीमा तय करने के अलावा दवाओ को लेकर कंपनियों के झुठो दावों पर भी नजर रखी जाएगी । नियमों में डोक्टरो को दिए जानेवाले ट्रायल सैंपल्स की संख्या भी निर्धारित की गई है । डिपार्टमेंट ओफ फार्मास्युटिकल्स के एक अधिकारी ने मसौदे में शामिल बातो पर विस्तार से बातचीत करने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने बताया कि नियमों की समीक्षा की जा रही है । उन्होंने कहा कि नया नियम लागु करने की कोई समय सीमा तय नहीं की गई है ।

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