गुजरात में हो रहे राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव से पहले चुनाव आयोग के नोटा ओप्शन के खिलाफ गुजरात कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया हैं । इस याचिका में चुनाव आयोग के २०१४ के अधिसूचना को चुनौती दी गई हैं । जिसमें राज्यसभा चुनाव में नोटा के विकल्प की अनुमति दी गई थी । कांग्रेस ने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया और इसकी टाइमिंग पर सवाल खड़े किए थे । सुप्रीम कोर्ट मंे दायर याचिका में कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के २०१३ के उस आदेश को आधार बनाया हैं जिसमें कहा गया था कि राज्यसभा जैसे अप्रत्यक्ष चुनावों में नोटा का इस्तेमाल नहीं होगा । कांग्रेस पार्टी की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हो सकती हैं । पिटिशन में गंभीर सवाल उठाया गया हैं कि राज्यसभा चुनाव में नोटा का इस्तेमाल का निर्णय़ केन्द्र क्यो गुजरात के समय ही अमल में ला रही हैं । राज्यसभा चुनाव में चुनाव आयोग द्वारा मतदाताओं को नोटा विकल्प मुहैया कराने जाने का कांग्रेस कड़ा विरोध कर रही हैं । कांग्रेस नेताओं ने निर्वाचन आयोग को एक ज्ञापन सौंपकर उससे यह कदम नहीं उठाने के लिए भी कहा । पार्टी ने इस ज्ञापन में कहा कि राज्यसभा जैसे परोक्ष चुनाव में नोटा का प्रयोग संविधान के अनुच्छेद ८० (४), जन प्रतिनिधित्व कानून १९५१ और चुनाव संचालन नियमा १९६१ तथा उच्चतम न्यायालय के कुलदीप नैयर बनाम भारत सरकार के फैसले के द्दष्टिकोण से विरुद्ध हैं । विपक्षी नेताओं ने संसद में भी दलील दी कि इससे न सिर्फ नोटा पर वोट देने वाले प्रतिनिधियों की अपनी पार्टी की सदस्यता खतरे में पड़ जायेगी बल्कि संवैधानिक संकट भी खड़ा हो जाएगा ।
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