अहमदाबाद-गांधीनगर के बीच मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में जीवराजपार्क क्षेत्र के स्थानीय निवासियों की मकानों और दुकानों के कटौती में जाने पर समग्र मामला गुजरात हाईकोर्ट में पहुंच गया था । जिसकी सुनवाई में मंगलवार को हाईकोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बी.एन. कारिआ की खंडपीठ ने जीवराजपार्क के असरग्रस्त निवासियों को राहत देते हुए आदेश दिया है । हाईकोर्ट ने सरकार और मेगा कंपनी सत्ताधीशों ने असरग्रस्त स्थानीय निवासियों को जो मुआवजा चुकाना होता हो यह मुआवजा मेगा कंपनी ने अहमदाबाद जिला कलेक्टर के समक्ष दो दिन में जमा करा देने का आदेश दिया गया है । आगे हाईकोर्ट ने ऐसा भी आदेश दिया है कि, असरग्रस्त निवासियों और मेगा कंपनी के बीच हुए सहमति मुआवजा के अनुसार असरग्रस्त निवासियों को ५ अक्टूबर को अहमदाबाद कलेक्टर के समक्ष उपस्थित रहे और २४ अक्टूबर, २०१७ तक में अहमदाबाद कलेक्टर ने जमीन संपादन धारा की २३ (ए) के अनुसार असरग्रस्त निवासियों को मुआवजा देकर जमीन संपादन की कार्यवाही पूरी करे ।
मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के कारण असर होनेवाले जीवराजपार्क क्षेत्र की विश्वकर्मा, मंगलदीप सहित की सोसायटियों के असरग्रस्त स्थानीय निवासियों की तरफ से की गई अर्जी में एडवोकेट विक्रम ठाकोर ने बताया है कि, सरकार और मेगा कंपनी द्वारा मेट्रो रेल प्रोजेक्ट संपादन को चुनौती देती अर्जी हाईकोर्ट में पेन्डिंग थी इस दौरान मेगा कंपनी और स्थानीय निवासियों के बीच समाधान हुआ था । जिसके अनुसार, जिन निवासियों को उनके मकान, फ्लेट या दुकान का नकद में मुआवजा चाहिए उनको नकद में मुआवजा और जिसे जमीन लेना हो उनको जमीन देने के मामले में स्वीकार करता समाधान हुआ था । यह समाधान को ध्यान में लेकर पहले हाईकोर्ट ने जमीन संपाधन धारा की २३ (ए) के अनुसार सहमति से मुआवजा देने का आदेश दिया गया था, जिसके अनुसार चार सप्ताह में मुआवजा घोषणा करने के लिए अहमदाबाद क्लेक्टर को आदेश दिया गया था लेकिन यह समयसीमा में मुआवजा की घोषणा नहीं होने पर सरकार ने समय की अवधि बढ़ाने की अर्जी की गई थी ।