राजधानी दिल्ली में नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है और इसी बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने विधानसभा में तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया है। पश्चिम बंगाल के संसदीय कार्यमंत्री पार्थ चटर्जी ने विधानसभा में केंद्र के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने को लेकर प्रस्ताव पेश किया। इस दौरान भाजपा के विधायकों ने विधानसभा में जमकर हंगामा किया और जय श्री राम के नारे लगाए। हंगामे के बीच भाजपा के विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट किया, हालांकि इस प्रस्ताव पर लेफ्ट और कांग्रेस का पश्चिम बंगाल सरकार को समर्थन है। कृषि कानूनों की वापसी को लेकर विधानसभा में प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि किसानों को गद्दार के तौर पर पेश किए जाने को स्वीकार नहीं करेंगे। ममता बनर्जी ने कहा कि हम केंद्र सरकार से कानूनों को वापस लेने की मांग करते हैं। ममता बनर्जी ने कहा, भाजपा हर आंदोलन को आतंकवादी गतिविधि मानती है। यह तीनों कानून पूरी तरह से किसान विरोधी हैं। हम आंदोलनकारी किसानों के साथ खड़े हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि लाखों किसान आंदोलन कर रहे हैं, एक या दो छोटी घटनाएं हो सकती हैं, क्योंकि भावनाएं बहुत अधिक चल रही हैं। लेकिन कोई भी किसानों को आतंकवादी नहीं कह सकता।
बता दें, अभी तक पांच गैर भाजपा शासित राज्य- पंजाब, छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल और दिल्ली- ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चाहती थी कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव को कांग्रेस के साथ मिलकर लाया जाए, लेकिन ममता सरकार का यह प्रस्ताव फेल हो गया।
दरअसल, कांग्रेस इसे नियम 185 के तहत लाना चाहती थीं। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री चटर्जी ने कहा कि वे इसी प्रस्ताव को नियम 185 के तहत लाना चाहते थे। एक ही मुद्दे पर दो प्रस्ताव दो अलग-अलग नियमों के तहत लाने का क्या मतलब है? जब सरकार एक प्रस्ताव दे चुकी और उम्मीद है कि इसे स्वीकार कर लिया जाएगा। नियम 169 के तहत, सरकार विधानसभा में एक प्रस्ताव देती है, जबकि नियम 185 के तहत कोई भी पार्टी सदन में प्रस्ताव पेश कर सकती है।
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