दिल्ली के लाखों गरीब और वंचित परिवारों को शीघ्र ही अत्याधिक लोकप्रिय और सफल आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिल पायेगा क्योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस योजना को लागू करने के लिये फाइल की गई एक जनहित याचिका के संदर्भ में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को एक नोटिस जारी किया है।
दिल्ली भाजपा मीडिया प्रभारी प्रत्युष कंठ एवं लीगल सेल संयोजक सूर्य प्रकाश खत्री (अर्जीकर्ताओं) ने आयुष्मान भारत (हेल्दी इंडिया), प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना दिल्ली में लागू करने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका फाइल की थी जिससे कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली के गरीब और वंचित परिवारों को वित्तीय सुरक्षा प्राप्त हो सके।
यह अर्जी दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायाधीश सी. हरिशंकर के समक्ष प्रस्तुत की गई थी जिसमें अर्जीकर्ताओं ने यह दलील दी थी कि दिल्ली सरकार यह दावा कर रही थी कि उनके पास इस योजना से भी बेहतर नीति है और इस कारण उन्होंने दिल्ली में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं की।
अर्जीकर्ताओं ने यह भी दलील दी की दिल्ली सरकार के पास ऐसी कोई नीति नहीं है और न ही उसे लागू किया गया है। उन्होंने न्यायालय से स्पष्ट रूप से यह अनुरोध किया कि वे दिल्ली सरकार को उक्त नीति प्रस्तुत करने का निदेश दें। इन दलीलों को देखते हुये न्यायलय ने इस मामले को गंभीर समझा और दिल्ली सरकार को अपना पक्ष रखने के लिये नोटिस जारी किया।
माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई आयु भारत योजना के अंतर्गत 10.74 करोड़ गरीब और वंचित परिवारों को (लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों को) वित्तीय सुरक्षा प्राप्त होगी जो पूरे देशभर में सफल रही है। यह आश्चर्य की बात है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के निवासियों को इस योजना के लाभ से जानबूझकर वंचित रखा गया है जो संविधान में दिये गये मूल अधिकारों का हनन है।
वास्तव में कुल मिलाकर 34 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों ने आयुष्मान भारत योजना को लागू करने के लिये केन्द्र सरकार से समझौता किया है और देश के लाखों लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।