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केंद्र सरकार का कश्मीर से बंदिशें पूरी तरह से हटाने का बड़ा प्लान

केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर पर लगी पाबंदियों को पूरी तरह हटाकर हालात को सामान्य करने के लिए अब बड़े पैमाने पर पहल करने की तैयारी में है । शनिवार को श्रीनगर गए विपक्षी नेताओं को सुरक्षा कारणों का हवाला देकर भले ही एयरपोर्ट से लौटा दिया गया हो, लेकिन सरकार की ओर से वहां नजरबंद उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे स्थानीय नेताओं से संपर्क साधने की कोशिश शुरू हो गई है । इसके अलावा, सर्वदलीय मीटिंग बुलाकर वहां के हालात के बारे में बताने की कवायद हो सकती है । पीएम नरेन्द्र मोदी के विदेश से लौटने के बाद होने वाली मीटिंग में इस पर निर्णायक पहल हो सकती है । ५ अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल ३७० को हटाए जाने के बाद से घाटी में लगभग बंदी जैसे हालात हैं । हालांकि १५ अगस्त के बाद स्थिति को सामान्य करने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं । इसके तहत स्कूलों-दफ्तरों को खोलने के अलावा लैंडलाइन फोन भी चालू किए गए हैं, लेकिन मोबाइल फोन अब भी बंद हैं और दुकानें कम ही खुल रही हैं । सरकार मान रही है कि घाटी में हालात पूरी तरह सामान्य करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने होंगे । सूत्रों के अनुसार, कुछ शीर्ष अधिकारियों ने श्रीनगर में नजरबंद बड़े नेताओं से संपर्क साधा है । उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से मुलाकात कर उन्हें परिस्थितियों की जानकारी दी गई है । सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं की रिहाई की प्रक्रिया भी तेज हो गई है । सरकार दूसरे विपक्षी नेताओं को भी विश्वास में लेगी । इसके लिए दिल्ली या श्रीनगर में सर्वदलीय मीटिंग हो सकती है । सरकार चाहती है कि पक्ष-विपक्ष मिलकर विश्व समुदाय को संदेश दें कि अब वहां हालात पूरी तरह सामान्य हैं । सूत्रों की मानें तो सरकार को पता है कि घाटी में बंदिशों को अब जल्दी से पूरी तरह हटाना होगा । पूरे विश्व समुदाय से भारत को आर्टिकल ३७० हटाने पर समर्थन मिला है और तकरीबन सभी देशों ने इसे भारत का अंदरूनी मामला बताया है । हालांकि घाटी में बंदिशों को लेकर चिंता भी जताई गई है । सरकार इसी फिक्र को दूर करना चाहती है । २२ सितंबर से मोदी का अमेरिका दौरा शुरू हो रहा है । वहां यूएन में पीएम सालाना जलसे को संबोधित करेंगे । सरकार इससे पहले कश्मीर मसले को अपने स्तर पर खत्म कर देना चाहती है । कश्मीर घाटी का जायजा लेने शनिवार को राहुल गांधी समेत विपक्ष के १२ नेता श्रीनगर पहुंचे, लेकिन प्रशासन ने एयरपोर्ट से ही लौटा दिया । इनमें कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, डीएमके, एनसीपी, जेडीएस, आरजेडी और तृणमूल के नेता थे । दिल्ली लौटकर जारी बयान में इन्होंने कहा कि राज्यपाल ने सबके सामने राहुल गांधी से कहा था कि वह श्रीनगर आए और खुद हालात देखें । इसी के बाद हम लोग गए थे, लेकिन हमें एयरपोर्ट पर ही रोक दिया गया । हमारी यात्रा का मकसद कश्मीरियों से एकजुटता दिखाना और हालात सामान्य बनाने में मदद करने का था । विपक्ष ने स्थानीय नेताओं की नजरबंदी को अलोकतांत्रिक करार दिया । पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की सोमवार को होने वाली बैठक से पहले अमेरिका ने कहा है कि इस दौरान कश्मीर पर भी चर्चा होगी । ट्रंप कश्मीर में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उठाए गए कदम की जानकारी लेंगे । हालांकि अमेरिका ने एक बार फिर आर्टिकल ३७० हटाने को भारत का आंतरिक मामला बताया । शनिवार को ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि अमेरिका भारत-पाक के बीच तनाव कम करने के लिए दोतरफा रणनीति पर काम रहा है । पहला, सीमापार घुसपैठ रोकने और भारत, खासकर कश्मीर में टेरर फंडिंग और अन्य मदद रोकने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाना । दूसरा, भारत को कश्मीर में हालात सामान्य बनाने के लिए प्रोत्साहित करना और मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है ।

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