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दुनिया के सामने शर्मिंदगी, पाक ने किया झूठा दावा नहीं दिया कर्ज : एडीबी

पाई-पाई को मोहताज पाकिस्तान के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान के वित्तीय सलाहकार हफीज शेख और योजना मंत्री खुसरो बख्तियार का वह एलान देश पर भारी पड़ गया जिसमें एशियन विकास बैंक (एडीबी) द्वारा पाक को 3.4 अरब डॉलर का कर्ज मुहैया कराने को कहा था। एडीबी ने शेख और खुसरो के एलान से किनारा करते हुए कहा कि इस मामले में अभी अंतिम फैसला हुआ ही नहीं है। फिलीपींस स्थित एडीबी मुख्यालय से जारी इस ताजा व दुर्लभ बयान के बाद पाकिस्तान को दुनिया के सामने शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है। इमरान के सलाहकार हफीज शेख और पाकिस्तान के संघीय योजना, विकास व सुधार मंत्री खुसरो बख्तियार ने एक दिन पहले ही कहा था कि देश ने बजटीय मदद के लिए 3.4 अरब डॉलर का कर्ज हासिल कर लिये है जिसमें से 2.1 अरब डॉलर एक साल के भीतर जारी किए जाएंगे। इस घोषणा से एडीबी बैंक इस हद तक खफा है कि उसने अवकाश के दिन भी अपना बयान जारी किया। 
बैंक ने पाक के साथ ऋण को लेकर जारी वार्ता की पुष्टि जरूर की है, लेकिन स्पष्ट किया कि अंतिम फैसला संचालक मंडल को करना है। एडीबी के पाक में निदेशक का कामकाज देखने वाले झिहोंग यांग ने कहा कि कर्ज देने से पहले पाक सरकार की नीतियों और आर्थिक हालातों का आकलन किया जा रहा है। पाक पीएम के सलाहकार हफीज शेख और योजना मंत्री खुसरो बख्तियार के समय पूर्व एलान से एशियन विकास बैंक (एडीबी) को किरकिरी का सामना करना पड़ा है। इस कारण बैंक ने नाराजगी जाहिर करते हुए यह तक कहा कि हम कर्ज के बोझ से दबे पाकिस्तान की मदद कर सकते हैं और हमारी कोशिश होगी कि संस्थागत सुधारों से पाक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटा सकें। लेकिन अभी तक यह मामला बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के पास तक गया तक नहीं है जबकि अंतिम फैसला उन्हीं के हाथों में है। उधर, जो प्रतिनिधिमंडल हफीज शेख से वार्ता कर रहा है उसके पास कर्ज को अंतिम रूप देने का अधिकार तक नहीं है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से छह अरब डॉलर के कर्ज के एवज में इमरान सरकार ने देश की अर्थ नीतियां उसके हिसाब से आगे बढ़ाने का वादा किया है। पाक पर 12 माह में 700 अरब रुपये के फंड की व्यवस्था का दबाव है। पाक का न सिर्फ राजस्व घाटा आसमान छू रहा है बल्कि भुगतान संतुलन भी पटरी से उतर गया है। देश का चालू खाता घाटा भी 2015 में 2.7 अरब डॉलर से बढ़कर 2018 में 18.2 अरब डॉलर हो गया है। ऐसे में पाकिस्तान ने यदि जल्द अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं किया तो उस पर डिफॉल्टर होने का खतरा बढ़ जाएगा।

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