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यूको बैंक ने यश बिड़ला को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ घोषित किया, नहीं चुकाया 67 करोड़ रुपए का कर्ज

बीते कुछ सालों से भारतीय कारोबारियों का विलफुल डिफॉल्ट होना एक फैशन सा बन गया है। विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे कारोबारियों ने पहले तो बैंक से मोटा कर्ज ले लिया फिर अपने आपको विलफुल डिफॉल्ट घोषित कर दिया। अब इस कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है और वो है यशोवर्धन बिड़ला। कोलकाता के यूको बैंक ने रविवार को यशोवर्धन बिड़ला को विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। यश बिड़ला के ग्रुप की एक कंपनी बिड़ला सूर्या लिमिटेड द्वारा 67.65 करोड़ रुपए का कर्ज न चुकाने के चलते उन्हें डिफॉल्टर घोषित किया गया है। बिड़ला को विलफुल डिफॉल्टर बताते हुए, बैंक ने कहा कि कंपनी के पास 100 करोड़ रुपए की क्रेडिट लिमिट थी, जिसका 67 करोड़ रुपए से ज्यादा ब्याज बाकी था। इस लोन को 2013 में एक नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट के तौर पर क्लासिफाई किया गया था। अगर किसी प्रमोटर को किसी कर्जदाता द्वारा विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है तो न केवल उसके मौजूदा बिजनेस बल्कि किसी भी कंपनी जिसमें वह डायरेक्टर है, उसे फंडिंग नहीं मिल सकती। 
बिड़ला सूर्या कंपनी ने मल्टी-क्रिस्टैलिन सोलर फोटोवॉल्टाइक सेल्स के निर्माण के उद्देश्य से बैंक से लोन लिया था। ग्रुप के पास एक दर्जन से ज्यादा कंपनियां हैं जिनमें जेनिथ स्टील, बिड़ला पावर, बिड़ला लाइफस्टाइल और श्लोका इन्फोटेक जैसी कंपनियां शामिल हैं। अधिकतर कंपनियां घाटे में चल रही हैं और कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। कंपनी को पिछले साल भी परेशानी का सामना करना पड़ा था जब ग्रुप की तीन कंपनियों- बिड़ला कोटसिन, बिड़ला श्लोका एजुटेक और जेनिथ बिड़ला पैसे के लेनदेन को लेकर जांच के घेरे में आ गईं थीं। यह जांच जब फिक्स्ड डिपॉजिट निवेशकों द्वारा अपने पैसे वापस न मिलने की शिकायत के बाद शुरू हु ईथी। 
खास बात है कि कोलकाता के इस बैंक की स्थापना यश बिड़ला के परदादा, घनश्याम दास बिड़ला ने की थी। जी डी बिड़ला के भाई रामेश्वर दास बिड़ला यश बिड़ला के पिता अशोक बिड़ला के दादा थे। यश बिड़ला ने 23 साल की उम्र में उस समय पारिवार का कारोबार संभाला जब बेंगलुरू में एक एयर क्रैश में उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई। कई सालों की ग्रुप का संचालन अडवाइजर्स ने किया। बिड़ला श्लोका एजुटेक के तहत यह ग्रुप कई चैरिटेबल संस्थान और स्कूल का संचालन भी करता है। बैंकर्स के मुताबिक, किसी कर्जदार को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें उन्हें अपनी स्थिति को पेश करने का पर्याप्त मौका मिलता है। किसी कर्जदार को ‘विलफुल डिफॉल्टर’ तब बताया जाता है जब वह जानबूझ कर कर्ज चुकाने में असफल रहता है। यानी संसाधन होने के बावजूद कर्ज न चुकाना इसमें शामिल है। इसके अलावा कर्जदाता को बिना बताए ऐसेट्स की बिक्री और पैसे को दूसरे कामों में लगाने के चलते भी किसी व्यक्ति को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया जाता है।

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