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हिंदी को थोपने को कोई प्रयास नहीं किया गया है : इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन

इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन ने स्पष्ट किया है कि हिंदी को थोपने को कोई प्रयास नहीं किया गया है। वह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिये गठित की गई समिति के प्रमुख है। कई राजनीतिक दलों, खासकर तमिलनाडु के दलों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे में तीन भाषा के फॉर्मूले का विरोध करते हुए कहा था कि यह गैर – हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी भाषा थोपने के बराबर है। कस्तूरीरंगन ने जोर दिया कि हिंदी को थोपने की कोशिश कभी नहीं की गई है। 
वैज्ञानिक ने एक मीडिया को बताया, हमारे पास दो स्वीकृत संस्करण थे, जिसमें से एक शिक्षा नीति की भावना को व्यक्त नहीं करता था, जैसा रूप हम देने की कोशिश कर रहे थे। हमने इसे उस पैरा से बदल दिया जिसमें हिंदी का उल्लेख नहीं था। उन्होंने कहा, हिंदी थोपने की मंशा कभी नहीं थी।
1968, 1986, 1992 और मौजूदा शिक्षा नीति के बीच मुख्य अंतर यह है कि पहले की नीतियों में तीन भाषा फॉर्मूला स्वीकार्य है, लेकिन नई नीति में लचीलापन है। विवाद बढ़ने के बाद केंद्र ने शिक्षा नीति के मसौदे में सुधार करते हुए गैर – हिंदी राज्यों में हिंदी पढा़ने के अनिवार्य प्रावधान को हटा दिया है।

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