श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने उन रिपोर्टों का खंडन किया, जिनमें कहा गया था कि उन्हें ईस्टर संडे बम विस्फोटों की पूर्व सूचना थी। श्रीलंका में 21 अप्रैल को एक के बाद एक आठ सिलसिलेवार धमाके हुए थे जिसमें 250 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले में कई हाई-एंड होटल और तीन चर्चों को निशाना बनाया गया था। राष्ट्रपति ने 8 अप्रैल को पुलिस महानिरीक्षक और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ एक मासिक बैठक बुलाई थी। लेकिन उन्हें उस समय इन धमाकों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
किकिसी भी पुलिस अधिकारी ने राष्ट्रपति को सूचित नहीं किया कि संभावित आतंकवादी हमले के बारे में अग्रिम रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। राष्ट्रपति भवन से जारी बयान में कहा गया है कि न तो रक्षा सचिव, न ही पुलिस महानिरीक्षक और न ही किसी अन्य अधिकारी ने राष्ट्रपति को 21 अप्रैल के आतंकवादी हमले के बारे में भारत से प्राप्त चेतावनी पत्र के बारे में उन्हें सूचित किया था। रक्षा सचिव जनरल शांता कोटेगोडा ने स्टेट इंटेलिजेंस सर्विस की प्रमुख सिसीरा मेंडिस के बयान के बाद संसदीय चयन समिति (पीएससी) के सामने इस बात का स्पष्टीकरण दिया। पीएससी को ईस्टर संडे आतंकवादी हमलों की जांच के लिए नियुक्त किया गया है। संसद परिसर में कल इसकी पहली बैठक थी।
बैठक में रक्षा सचिव ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रक्रिया और राष्ट्रीय खुफिया इकाइयों की गतिविधियों की व्याख्या करते हुए कहा कि कुछ खुफिया अधिकारियों की कथित रूप से गिरफ्तारी से पूरी राज्य खुफिया सेवा कमजोर नहीं हुई। कोटेगोडा ने यह भी बताया कि श्रीलंका में चरमपंथी समूहों के अस्तित्व से संबंधित पहली खुफिया जानकारी 2014 में सामने आई थी और अगर उस समय कार्रवाई की गई होती तो 21 अप्रैल का हमला टल सकता था।