अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए युद्ध जैसे हालात नजर आर रहे हैं । सऊदी के २ तेल टैंकरों पर यूएई के तट पर हुए हमले के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है । हालांकि, ईरान ने इसमें अपनी भूमिका से इनकार करते हुए इसे विदेशी ताकत की साजिश बताया । इस बीच पश्चिम एशिया में अपनी स्थिति मजबूत करने और किसी आपातकालीन परिस्थिति से निपटने की तैयारी अमेरिका ने शुरू कर दी है । अमेरिका ने इराक में मौजूद अधिकारियों को वापस बुला लिया है । गैर-आपातकालीन अमेरिकी अधिकारियों को ट्रंप प्रशासन ने वापस लौटने का आदेश जारी किया है ।
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क टाइम्स की ईरान के खिलाफ युद्ध की तैयारी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया है । रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ईरान से मुकाबला करने के लिए मध्य पूर्व में लगभग एक लाख २० हजार सैनिकों को भेजने की योजना पर विचार कर रहे हैं । हालांकि, इराक से अमेरिका ने अपने अधिकारियों को बुलाकर ईरान के लिए सख्त तेवर जरूर दिखाए हैं । अमेरिका और ईरान के संबंध पिछले एक साल में बेहद खराब हो गए हैं । अमेरिका राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ओबामा प्रशासन में ईरान के साथ हुए न्यूक्लियर डील को खत्म कर दिया और ईरान पर कठोर प्रतिबंध फिर से लागू हो गए । भारत और चीन जैसे देशों को दी गई रियायत भी खत्म हो गई और इन सबका असर ईरान के अर्थव्यवस्था पर बुरी तरह से पड़ा । अमेरिका ने ईरान को और बड़ा झटका देते हुए तेल खरीद पर चीन और भारत जैसे देशों को मिलनेवाली छूट को भी खत्म कर दिया । अमेरिका ने अपने युद्धपोत यूएसएस आरलिंगटन और यूएसएस अब्राहम लिंकन को पश्चिम एशिया क्षेत्र में तैनात किया है । अमेरिका के रक्षा सलाहकार ने पहले ही कहा था कि अमेरिका के खिलाफ ईरान युद्ध की तैयारी कर रहा है ।