पाकिस्तान में २५ जुलाई को आम चुनाव होने हैं । इस बार जहां एक तरफ नवाज शरीफ के जेल जाने की वजह से चुनावी समीकरण बदले हैं तो वहीं दूसरी तरफ देश में कट्टरपंथी इस्लामी धर्म को चुनाव का केन्द्र बिंदु बना रहे हैं । हाफिज सईद, जिसे अमेरिका ने मोस्ट वॉन्टेड आतंकी घोषित किया हुआ है । १६६ लोगों की जान लेने वाले मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के संगठन को मिल रही फंडिंग पर पाकिस्तान में रोक लगा दी गई है । सईद की अपनी राजनीतिक इकाई मिल्ली मुस्लिम लीग को चुनाव आयोग ने मान्यता नहीं दी लेकिन इनमें से कोई भी ऐक्शन हाफिज को २५ जुलाई के आम चुनाव के लिए प्रचार करने से रोक नहीं पाया और उसने अपने २०० से ज्यादा उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार दिया । पाकिस्तानी सरकार को गद्दार बताते हुए हाफिज ने इस महीने लाहौर में एक रैली के दौरान खुलेआम कहा, अमेरिकी नौकरों की राजनीति खत्म होनेवाली है । बुधवार को होने जा रहे आम चुनाव में सबसे बड़ा मुकाबला जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और पीटीआई नेता इमरान खान के बीच है, जिन्हें सेना का पसंदीदा राजनेता माना जाता रहा है । लेकिन इस बार कट्टर इस्लामी समूहों की एक बड़ी फसल भी चुनाव में हिस्सा ले रही है । इसकी संख्या को देखें तो यह समूह परमाणु हथियार संपन्न इस्लामी देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को बदलने की क्षमता भी रखते हैं । २० करोड़ ८० लाख की आबादी वाले पाकिस्तान में ये पार्टियां लगातार पश्चिम विरोधी बयानबाजी और सख्त शरिया कानूनों की पैरवी कर रहे हैं । धार्मिक पार्टियों की राजनीति में एंट्री को सेना की हथियार बंद इस्लामियों या अन्य चरमपंथियों को राजनीति के जरिए मुख्यधारा में लाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है । हालांकि, पार्टियों और सेना लगातार किसी भी तरह के संबंध के आरोपों से इनकार करते आ रहे हैं ।
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