गुजरात विधानसभा चुनाव में साल २०१२ में ४० दलों ने चुनाव लड़ा था । जिनमे से २२ दलों ने पहली बार चुनाव लड़ा था । राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी स्पर्धा रही है । गुजरात के मतदाता ने कभी भी तीसरे राजनितिक विकल्प को स्वीकार नहीं किया है । साल २०१७ में होने जा रहे चुनाव में स्थिति क्या रहेगी इसे लेकर राजनितिक पक्षो में गिनती दौर शुरु हो चुका है । इस बार भी बहुत सी पार्टिया चुनाव लड़ने जा रही है । पिछले छ दसक में ७६ दल एक बार चुनाव लडकर अदश्य हो चुके है । वर्ष १९८५ में राष्ट्रीय राजनीकि दल बनी जनता पार्टी, वर्ष १९८० में जनता पार्टी (सेक्यूलर) राजनारायण, जनता पार्टी (सेक्युलर)चरण सिंह, इण्डियन नेशनल कांग्रेस (आईः)-कांग्रेस आई, इण्डियन नेशनल कांग्रेस यू ) कांग्रेस यू, राष्ट्रीय मजदुर लोक पक्ष, वर्ष १९७२ में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी-सोशलिस्ट पार्टी, वर्ष १९६७ में संगता सोशलिस्ट पार्टी एवं वर्ष १९६२ में राष्ट्रीय पार्टी के रूप में पंजीकृत हुए स्वतंत्र राजनीतिक दल हिन्दु महासभा, रिपब्लिकन, रामराज्य परिषद, सोशलिस्ट ने गुजरात में लोकसभा व विधानसभा के चुनाव लड़कर अदृश्य हो गए, लेकिन आम तौर पर पर शासन की बागड़ोर मुख्य रुप से कांग्रेस, भाजपा विचारधारा के हाथों में रही । मुख्य रुप से धर्म निर्पेक्ष एवं दक्षिणपंथी राजनीतिक विचारधारा के केन्द्र बिन्दु रहे गुजरात में कुछ मौकों पर जनता पार्टी, जनता दल, जीपीपी, राजपा जैसे तीसरे राजनीतिक विकल्प को कुछ समय के लिए शासन की बागड़ोर संभालने का अवसर तो मिला लेकिन यह वह ज्यादा टिकाउ नहीं रहा और आखिरकार उनका समान विचारधारा वाली पार्टी कांग्रेस या भाजपा में विलय हो गया । वर्ष २००२ में राष्ट्रीय गुरुजन पार्टी, भारतीय नवशक्ति पार्टी, जनता दल सेक्यूलर जैसे नए दलों ने चुनाव लड़ा लेकिन सत्ता की बागड़ोर भाजपा को मिली । वर्ष १९९५ एवं १९९८ में ओल इण्डिया राष्ट्रीय जनता पार्टी, अजय भारत पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ओफ इण्डिया (डेमोक्रेटिक), हिन्दुस्तान स्वराज संगठन, गरीब जन समाज पार्टी, भारतीय माइनोरिटीज सुरक्षा महासंघ, इण्डियन यूनियन मुस्लिम लीग आदि दलों ने चुनाव लड़ा, लेकिन शासन की बागडोर भाजपा के हाथों आई । हालांकि इस दौरान बदले राजनीतिक माहौल में कुछ समय के लिए शंकर सिंह वाघेला की अगुआई वाला तीसरा राजनीतिक मोर्चा-राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा) कुछ समय के लिए शासन में आया लेकिन बाद में उसका कांग्रेस में विलय हो गया ।
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