डोकलाम जैसी चुनौतियों से निपटने की भारत की क्षमता में आने वाले कुछ सालों में और इजाफा होने वाला है क्योंकि भारत चीन से लगी बॉर्डर पर अहम रणनीतिक इलाकों में सड़क बनाने के काम को तेज कर दिया है । ऊंचाई पर स्थित रणनीतिक लिहाज से अहम कई सड़कों के निर्माण को २०२०-२१ की डेडलाइन से पहले ही पूरा कर लिया जाएगा । भारत चीन सीमा पर कुल ६१ रोड प्रॉजेक्ट्स चल रहे हैं जिनमें से को २०२१ तक पूरा किया जाना है क्योंकि सरकार ने बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) की वित्तीय क्षमता बढ़ा दी है ताकि जमीनी स्तर पर अच्छे रिजल्ट मिल सकें । पिछले २-३ सालों से सीमा पर सड़क निर्माण की गति को तेजी मिली है । दुर्गम इलाकों में सड़क निर्माण का काम साल में बमुश्किल ४ से ६ महीने तक ही चल पाता है, लिहाजा बीआरओ की कार्यक्षमता में सुधार जमीन पर भी दिख रहा है । बीआरओ के पास फिलहाल चीन सीमा पर ३,४०० किलोमीटर के ६१ रोड प्रॉजेक्ट्स हैं । इनमें से २७ प्रॉजेक्ट्स पूरे हो चुके हैंं और बाकी ३४ में से २१ के कनेक्टिविटी वर्क को पूरा किया जा चुका है । एक सूत्र ने बताया, बीआरओ के अधिकारी १०० करोड़ रुपये तक के प्रॉजेक्ट को खुद मंजूरी दे सकते हैं, इसका सकारात्मक असर पड़ा है । निर्माण लागत में कमी साथ-साथ प्रॉजेक्ट के पूरा होने में लगने वाला समय भी घटा है । भविष्य में डोकलाम जैसी स्थिति से निपटने के लिए सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण में तेजी की जरूरत है । चीन और भूटान के बीच डोकलाम के विवादित हिस्से में भारतीय जवानों की समय रहते तेजी से की गई प्रतिक्रिया ने चीन के सड़क निर्माण को तो रोक दिया, लेकिन भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए बॉर्डर पर बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास जरूरी है । सेना के लिए सैन्य साजो-सामान और जरूरी चीजों की आपूर्ति के लिए यह जरूरी है इस मामले में चीन को बढ़त हासिल है । सरकार की चिंता इसलिए भी बढ़ी क्योंकि कनेक्टिविटी न होने की वजह से कई जगहों से स्थानीय लोगों के चीन की ओर पलायन की रिपोर्ट्स आई हैं ।
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