गुजरात राज्यसभा चुनाव की जंग अहमद पटेल जीत चुके हैं । प्रदेश कांग्रेस के बागी शंकरसिंह वाघेला के खेमे द्वारा क्रॉस वोटिंग भी भाजपा चीफ अमित शाह की रणनीति को कामयाब नहीं कर पाई । इस चुनाव में भले ही एक को जीत तो दूसरों को हार का सामना करना पड़ा । लेकिन तीनों ही नेता फिलहाल थमने वाले नहीं हैं। शाह, पटेल और वाघेला अब तीनों ही अगले बड़ी जंग की तैयारियों में जुट जाएगे । इन तीनों की ही राजनीतिक प्रतिष्ठा अब से कुछ महीनों बाद होने वाले गुजरात असेंबली चुनाव पर लगी होगी । अमित शाह ने एक बार फिर साबित किया है कि उनका अपने काम पर पूरी तरह फोकस हैं । अब वह आराम नहीं करेंगे । अमित शाह अब गुजरात चुनाव में १५० प्लस सीट्स पाने के लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रीत करेंगे । राजनीतिक जानकारों के मुताबिक इसके लिए शाह न केवल बिना थके काम करेंगे । बल्कि वह किसी का भी उसके पूर्व में इतिहास की परवाह किए बिना भाजपा में स्वागत करने के लिए तैयार हैं । सूत्र कहते हैं कि शाह को वाघेला और उनकी राजनीति का कोई तरीका कोई खास पसंद नहीं, लेकिन उन्होंने जिस तरह वाघेला के साथ जुड़ने की उत्सुकता दिखाई, उससे उनका राजनीतिक लचीलापन पता चलता हैं । राज्यसभा चुनाव को लेकर जो भी सियासी ड्रामा हुआ, यह सब कुछ अमित शाह की मर्जी का ही नतीजा हैं . उन्होंने साफ कर दिया कि चाहे सोनिया गां हो या अहमद पटेल, वह किसी को चैन से नहीं बैठने देंगे और कांग्रेस को हमेशा अलर्ट मोड में रहने के लिए मजबूर रखेगे । यह हार शाह के लिए कोई बड़ा झटका नहीं । उन्होंने कांग्रेस बागी बलवंत सिंह राजपूत पर ऐसा दांव खेला कि पूरी की पूरी कांग्रेस इधर उधर भागती नजर आई । वहीं राज्यसभा मंे अमित शाह की नई भूमिका पीएम नरेन्द्र मोदी के लिए बेेहद मददगार साबित होगी ।