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चीन के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया ने शुरू की घेराबंदी

चीन के आक्रामक रवैये से अमेरिका, भारत व हांगकांग आदि देश ही नहीं परेशान बल्कि ताइवान और ऑस्ट्रेलिया भी दुखी हैं। चीन साइबर हमलों और आर्थिक घेराबंदी से ऑस्ट्रेलिया को बार-बार टेंशन दे रहा है। इन हमलों के जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने अब चीन के खिलाफ सेना को मैदान में उतारने का मन बना लिया है। आस्ट्रेलिया ने घोषणा की है वह अब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी सेना को और मजबूत करेगा और चीन को सबक सिखाने के लिए भी हर वक़्त तैयार रहेगा। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने बुधवार को कहा कि सेना को और मजबूत बनाने के लिए हथियार खरीदे जाएंगे और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया कई महत्वपूर्ण इलाकों में सेना और हथियारों की तैनाती भी करेगा।
प्रधानमंत्री मॉरिसन ने बुधवार को ऐलान किया कि चीन की किसी भी धमकी का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा और इसके लिए ऑस्ट्रेलिया ने 270 बिलियन डॉलर रक्षा खरीद का प्लान पेश किया है। पीएम ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अपने सुपर हॉर्नेट फाइटर जेट्स के बेड़े को मजबूत करने के लिए लंबी दूरी के एंटी शिप मिसाइलों की खरीद और देश की रक्षा रणनीति में बदलाव करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ऑस्ट्रेलिया का कहना है कि उसने ऐसा कदम मित्र देशों, सहयोगियों और मुख्य भूमि की रक्षा के लिए उठाया है। ऑस्ट्रेलिया का सुपर हॉर्नेट बेड़ा नौसेना के सबसे मजबूत सैन्य बेड़ों में से एक माना जाता है। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के मुताबिक हाल के दिनों में चीन और उत्तर कोरिया ने लॉन्ग रेंज की कई मिसाइलों का परीक्षण किया है जिनमें से कई तो 5500 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है।
इसके बाद से रक्षात्मक रणनीति के तहत ऑस्ट्रेलिया को यह खरीद करने की जरूरत पड़ी है। नई घोषणा के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया इस जमीन से लॉन्च की जा सकने वाली लॉन्ग रेंज सरफेस टू सरफेस मिसाइल और सरफेस टू एयर मिसाइल के खरीद के बारे में भी विचार कर रहा है। इसके अलावा हाइपरसोनिक मिसाइलों के खरीद को लेकर भी अमेरिका से बात करने की तैयारी है. बता दें कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा मददगार अमेरिका है और वह पहले ही चीन से काफी नाराज़ है।

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