पश्चिम बंगाल में मुस्लिम स्टूडेंट्स के लिए अलग से मिड-डे मील हॉल रिजर्व करने आदेश पर विवाद के बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सफाई दी है। एक बयान जारी कर उन्होंने कहा कि यह केवल एक तकनीकी मामला है जो भारत सरकार के दिशा निर्देशों के मुताबिक है। ममता ने कहा कि इस आदेश का उद्देश्य छात्रों को बांटना नहीं है। ममता बनर्जी ने कहा, ‘सर्कुलर को इस तरह से लिखा गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या अल्पसंख्यक छात्र ज्यादा संख्या में है ताकि अल्पसंख्यक वेलफेयर डिपार्टमेंट फंड को इस योजना में समाहित किया जा सके। यह भारत सरकार की गाइडलाइन है और हम इसका पालन कर रहे हैं। यह तकनीकी ममला है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। उन्होंने कहा, विभिन्न विभागों से फंड इकट्ठा करने का विचार है ताकि स्कीम को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
यह किसी भी तरह से छात्रों को बांटने के लिए नहीं है। बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे मुस्लिम स्टूडेंट्स के लिए अलग से मिड-डे मील हॉल रिजर्व करें। यह आदेश राज्य के उन सरकारी स्कूलों पर लागू होगा जहां पर 70 फीसदी या उससे ज्यादा मुस्लिम छात्र हैं। पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिला मैजिस्ट्रेट की ओर से जारी आदेश में उन सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों का नाम मांगा है जहां पर 70 फीसदी से ज्यादा अल्पसंख्यक बच्चे पढ़ते हैं। इन सरकारी स्कूलों में अल्पसंख्यक बच्चों के लिए अलग से मिड-डे मील डायनिंग हॉल बनाया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव बनाकर भेजने को कहा गया है।
इस सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि यह निर्देश राज्य अल्पसंख्यक और मदरसा शिक्षा विभाग की ओर से दिया गया है। यह विभाग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास है और गियास उद्दीन मुल्ला इस विभाग में राज्य मंत्री हैं। इस बीच तृणमूल सरकार के इस फैसले पर बीजेपी ने तीखा हमला बोला है। पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने ट्वीट कर सवाल किया, धर्म के आधार पर छात्रों के साथ यह भेदभाव क्यों किया जा रहा है? इस अलगाव के पीछे कोई दुर्भावना तो नहीं है? एक और साजिश?