देश के सभी नागरिकों को घर मुहैया कराने की पीएम नरेन्द्र मोदी की महत्त्वाकांक्षी स्कीम प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत तीन साल में महज ८ फीसदी लक्ष्य ही पूरा किया जा सका है । शहरी क्षेत्रों में ३ साल में सरकार ने ४०.६ लाख मकानों को बनाने का वादा किया था, लेकिन अब तक इनमें महज ३ लाख यानी ८ फीसदी ही तैयार हो सके हैं । इस तरह यह स्कीम अपने लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है । हालांकि इस ग्रामीण आवास योजना की इससे कही बेहतर स्थिति है है और तय किए गए ९५.४ लाख मकानों में से २८.८ लाख आवास तैयार कर दिए गए है । यही नहीं ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह लक्ष्य स्कीम लॉन्च होने के १५ महीने के भीतर ही हासिल कर लिया । केंद्रीय शहरी विकास और ग्रामीण विकास मंत्रालयों की वेबसाइट पर ये आंकड़े उपलब्ध है । डेटा के मुताबिक सरकार शहरी क्षेत्रों में ४०.६ लाख मकानों के निर्माण के लिए ८,३४१ परियोजनाओं पर काम कर रही है । १८ लाख मकानों पर काम चल रहा है यानी योजना के तहत ४४ फीसदी लक्ष्य पूरा किया जा सकता है । हालांकि डेटा में यह बात स्पष्ट नहीं है कि इन मकानों का निर्माण कितना हो चुका है । जिन मकानों पर काम पूरा हो चुका है, उनमें से करीब ३ लाख में लोगों ने रहना शुरू कर दिया है ।
पीएम नरेन्द्र मोदी ने २५ जून को प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना को लॉन्च किया था । इसके तहत सरकारने २०२२ तक शहरी गरीबों के लिए २ करोड़ आवास तैयार करने की बात कही थी । पीएम मोदी ने कहा था कि आजादी की ७५वीं वर्षगाठ पर देश के हर नागरिक के पास अपना घर होगा । २०२२ तक के लक्ष्य की बात करें तो इस स्कीम पर सरकार अब तक २ फीसदी काम ही कर सकी है । इस स्कीम के तहत शहरी निकायों और अन्य एजेंसियों को केंद्र सरकार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से सहायता देती है । इन आवासों के निर्माण को ४ श्रेणियों में विभाजित किया गया है ।