हिरासत में मौत मामले में गुजरात के जामनगर कोर्ट ने बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और उनके सहयोगी को दोषी ठहराकर उम्र कैद की सजा सुनाई थी। बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की पत्नी श्र्वेता भट्ट ने कोर्ट की तमाम कार्टवाही को राजनिती का फेसला ठहराया है। कोर्ट ने हमारे एक भी गवाह को नहीं माना। जो गवाह पुलिस की ओर से पेश किए गए थे, श्र्वेता भट्ट ने बताया कि 300 गवाहों में से मात्र कोर्ट में 30 गवाह बुवाकर उनकी जूबानी ली गई जिससे कह सकते है कि बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को सुनाई गई उम्र कैद की सजा एक राजनिती के परदे के पीछे से सुनाई गई है जिसे हम राजनिती प्रेरित कह सकते है। श्वेता भट्ट ने आने वाले दिनों में नए गवाहों के साथ उच्च अदालत में सेशन कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देने की बात कही है। श्वेता भट्ट का कहना है कि हमने कोर्ट में नारायन रेडी जो एमडी फोरेन्सिक हैं, उन्हें बुलाना चाहा लेकिन सेशन कोर्ट ने मना कर दिया। अब उनके बयान को एफिडेविट के तौर पर हम हाईकोर्ट में पेश करेंगे।
फिलहाल श्वेता भट्ट ने गुजरात की राजनिती पर उंगली उठाकर अपनी अपने पति को बेकशूर ठहराने की सौगात सरकार से मांगने की कोशिस की लेकिन फैसला राजनिती प्रेरित आया तो श्र्वेता भट्ट का हौंसला टुट गया और कोर्ट पर उंगली उठा दी। जब श्वेता भट्ट को पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि ये फैसला रजनीति से प्रेरित है, तो इस पर श्वेता भट्ट ने कहा कि आप ही सोचो क्या हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि इस केस में लड़ने के लिए हम जो डॉक्यूमेंट मांग रहे हैं, वो हमें नहीं दे रहे हैं। उनका कहना है कि वे नष्ट हो गए। हमारी कानूनी लड़ाई है और उनकी राजनैतिक लड़ाई है। अगर ये कोर्ट का फैसला होता तो हम कभी विरोध नही करते पर ये कोर्ट का नही बल्कि राजनिती का फैसला है। श्वेता भट्ट ने बताया कि इस केस में हमने 300 गवाह ईकठ्ठे किये जिसमें से कोर्ट ने मात्र 30 लोगो को बुलाकर ट्रायल बंद कर दिया। और बताया कि हमें डिफेन्स विटनेस बुलाने ही नहीं देते हैं। फेयर ट्रायल होना ही चाहिए हमारा भी वो अधिकार हैं। हमारी कानूनी लड़ाई है और उनकी राजनैतिक लड़ाई है।