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महिसागर जिले में खुदाई के दौरान मिला डायनॉसॉर का अंडा

गुजरात के महिसागर जिले में बालासिनौर के पास गांव में किसानों को कई साल पुराने अंडे के अवशेष मिले है, जिसे डायनॉसॉर का अंडा बताया जा रहा है । यह गांव बालासिनौर से १० किलोमीटर दूर है, जहां संभवतः कभी डायनॉसॉर का रहा करते थे । हालांकि, शनिवार को खुदाई के दौरान अंडा मिला, वह टूट गया है । खुदाई में मिला अंडा स्थानीय वन विभाग को सौंप दिया गया है । अब यह अंडा आगे की रिसर्च के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भेजा जाएगा । अंडा डायनॉसॉर का है या नहीं, इसकी जांच के लिए लैब टेस्ट किया जाएगा । डायनॉसॉर के जीवाश्म सबसे पहले १९८० के दशक में बालासिनौर के पास पाया गया था, जिसके बाद वहां डायनॉसॉर जीवाश्म पार्क की स्थापना हुई थी । बालासिनौर के डायनॉसॉर फॉसिल पार्क में १९८२-८४ के बीच राजासोरस नर्मडेंसिस नाम के डायनॉसॉर के अवशेष मिले थे जिसके अनुसार यह अनुमान लगाया गया था कि डायनॉसॉर की लंबाई ७ से ९ मीटर और ऊंचाई २.४ मीटर तक रही होगी । साथ ही लगभग ७ करोड़ साल पहले ये यहां पाये जाते थे । डायनॉसॉर के अवशेषों की खोज भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के सुरेश श्रीवास्तव ने की थी । तब से बालासिनौर में दुनिया के सबसे विशाल और अब विलुप्त प्रजातियों में से एक डायनॉसॉर पर निरंतर शोध किया गया है । रिसर्चर के अनुसार करीब ६ करोड़ साल पहले नर्मदा घाटी की बेल्ट पर बालासिनौर से मध्य प्रदेश का डायनॉसॉर की आखिरी ७ जीवीत प्रजातियों के लिए अंडे देने की सबसे पसंदीदा जगह थी । अंडा लेब टेस्ट के लिए भेजा गया अब टेस्ट के बाद ही पता चलेगा ।

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