वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़िया को लेकर अहमदाबाद में हुआ पूरा ड्राम साफ तौर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और विश्व हिंदु परिषद के बीच चल रहे अंदरूनी संघर्ष की ओर इशारा कर रहा है । राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बीजेपी इस बात से बेहद नाराज है कि तोगड़िया और वीएचपी कार्यकर्ताओं ने गुजरात के विधानसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम किया । हालांकि बीजेपी को जीत हासिल जरूर हुई, लेकिन सीटों का आंकड़ा ११५ से घटकर ९९ रह जाने से पार्टी में अंदरूनी तौर पर काफी नाराजगी थी । अल्पसंख्यकों के खिलाफ आक्रामक और विवादित बयानों के लिए जाने जाने वाले तोगड़िया के नरेंद्र मोदी के साथ कभी बहुत अच्छे रिश्ते हुआ करते थे, लेकिन मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद दोनों के संबंध खराब होते चले गए । खास तौर पर २००७ के विधानसभा चुनाव के बाद उनके संबंधो में काफी कड़वाहट आ गई । कई बीजेपी नेताओं को लगता है कि पिछले साल के आखिर में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में वीएचपी कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी करने की काफी कोशिशें की । एक सीनियर बीजेपी नेता ने कहा, उन्होंने पाटीदार आंदोलन की आग में घी डालने की कोशिश की और बीजेपी के खिलाफ गुस्से को भड़काने का काम किया । यह एक बड़ी वजह थी कि इस बार के चुनाव में १०० सीटों का आंकड़ा पार नहीं कर पाए । बीजेपी नेता ने आगे कहा कि तोगड़िया को आरएसएस की तरफ से साफ निर्देश दिए गए है कि उन्हें राजनीतिक मुद्दों में दखल नहीं देना है ।