गुजरात स्वनिर्भर स्कूल फीस निर्धारण कानून को चुनौती देती गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष हुई पेन्डिंग अर्जियों की सुनवाई में बुधवार को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार सहित के सभी पक्षकारों को ३१ अगस्त तक में जवाब पेश करने का आदेश दिया था । हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि, पक्षकारों की तरफ से जवाब पेश होने के बाद हाईकोर्ट ने यह केस में फैसला जारी किया जाएगा ।गुजरात सरकार द्वारा गुजरात स्वनिर्भर स्कूल फीस निर्धारण कानून को लागू किए जाने पर राज्य की पेन्डिंग स्वनिर्भर स्कूलों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग अर्जियों करके यह कानून की वैधता को चुनौती दी थी । अर्जीकर्ता स्वनिर्भर स्कूलों की तरफ से पहले ऐसी पेशकश की गई थी कि, स्वनिर्भर स्कूलों पर सरकार इस प्रकार से फीस का नियंत्रण नहीं लगा सकती है क्योंकि, स्कूलों को विद्यार्थियों की शिक्षा, उनकी सुविधा और स्टाफ कर्मचारियों और मैनेजमेन्ट के पीछे विशेष खर्च किए जाने से स्वनिर्भर स्कूलों को अपने तरीके से फीस वसूल करने की सत्ता है । फीस नियंत्रण की वजह से विद्यार्थियों की शिक्षा और सुविधाओं पर इसकी सीधी असर कर सकती है । यह संजोगों में सरकार का कानून गैरकानूनी और अंसवैधानिक होने से इसे रद्द ठहराना चाहिए ।इस दौरान राज्य सरकार की तरफ से यह अर्जियों का विरोध करते हुए कहा है कि, सरकार ने कानूनी और संवैधानिक प्रस्ताव को योग्य ऐसा यह कानून जारी किया गया है, इसी वजह से कानून को चुनौती देने का कोई प्रश्न उपस्थित नहीं होता है, लेकिन सरकार ने अभिभावकों और विद्यार्थियों के हित में यह कानून लागू किया गया है । वर्षों से स्वनिर्भर स्कूल फीस के नाम पर विद्यार्थियों और अभिभावकों के पास से खुलेआम लूट रहे है, इस पर नियंत्रण लगाने के उद्देश्य से यह कानून बनाया गया है, जिसे आखिर में समाज और शिक्षण के हित में है । स्वनिर्भर स्कूलों की पीटिशन अनुचित होने से हाईकोर्ट को इसे रद्द ठहराकर इसे खारिज कर देना चाहिए ।